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________________ ३७६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे हे गौतम ! 'बारस पुण्णिमाको बारस अमावस्सागो पनत्ताओ' द्वादश-द्वादशसंज्ञकाः पूर्णिमा स्तथा द्वादशसंख्यका एवामावास्याः प्रज्ञप्ताः कथिताः, तानेव द्वादश मेदान दर्शयितुमाह-'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा-'साविट्ठी' श्राविष्ठी श्रावणमासमाविनी, तत्र अविष्ठा धनिष्ठा तस्यां भवा या सा श्राविष्ठी पूर्णिमा अमावास्या च 'पोट्टवई' प्रौष्ठपदी, तत्र प्रौष्टपदा उत्तरभद्रपदा तस्यां भवा प्रौष्ठपदी भाद्रपदमास भाविनी 'असोई आश्वयुजी तत्र अश्वयुक् अश्विनी तस्यां भवा आश्वयुजी आश्विनेयमास भाविनी, 'कत्तिगी ४' कार्तिकी कृत्तिकायां भवा कार्तिकी कार्तिकमास भाविनी, 'मग्गसिरी ५' मार्गशीर्षी मृगशीर्षनक्षत्र भवा 'पोसी ५' पौषी-पुष्यनक्षत्रे भवा पौषी 'माही ६ माघी मघायां भवा माघी 'फग्गुणी' कुहू आदि पर्याय वाची शब्दों द्वारा भी अभिहित हुई है तथा च अब प्रकृत प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रभु कहते हैं-'गोयमा बारस पुण्णिमाओ बारस अमा. वासाओ' हे गौतम ! १२ पूर्णिमाएं और १२ ही अमावास्याएं कही गई हैं। 'तं जहा' वे उन दोनों के १२ प्रकार ये हैं-'साविट्ठी' श्राविष्ठी-श्रावणमास भाविनी-श्रविष्ठा धनिष्ठा में जो होती है ऐसी पूर्णिमा और अमावास्या को श्राविष्ठी-श्रावणमासभाविनी कहा गया है 'पोट्टवई' भाद्रपद मास भाविनी प्रोष्टपदा नाम उत्तर भाद्रपद नक्षत्र का है इस नक्षत्र में जो पूर्णिमा और अमावास्या होती है वह प्रौष्ठपदी-भाद्रपद मासभाविनी पूर्णिमा एवं अमावास्या 'आसोई' आश्विनेयमास की जो पूर्णिमा और अमावास्या है वह आश्वयुजी पूर्णिमा और अमावास्या है 'कत्तिगी' कृत्तिका नक्षत्र में जो पूर्णिमा और अमावास्या होती है वह कार्तिक मास भाविनी पूर्णिमा और अमावास्या है 'मग्गसिरी' मृगशीर्ष नक्षत्र में जो पूर्णिमा और अमावास्या होती है वह मार्गशीर्षी पूर्णिमा और अमावास्या है 'पोसी' पुष्य नक्षत्र में होने वाली पूर्णिमा छ तथा य इवे प्रकृत प्रश्न उत्तर २५ता थxi प्रभु ४३ -'गोयमा ! बारस पुण्णिमाओ बारस आमावसाओ' हे गौतम ! १२ पूर्णिमामा भने १२ भावास्याये। वाम भाव छ. 'तं जहा' ते मानना १२ १२ 241 प्रमाणे छ-'साविट्ठी' श्रावि०४ी-श्रावY. માસ ભાવિની–શ્રવિઠા-ધનિષ્ઠામાં જે હાય થાય છે એવી પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યાને श्राविही-श्रावणमास मानी पामा मापी छ. 'पावई' सापभास भाविनी-ग्रीष्ट. પદા નામ ઉત્તરભાદ્રપદ નક્ષત્રનું છે. આ નક્ષત્રમાં જે પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યા આવે છે ते प्री०४५ही-भाद्र ५४ मास माविनी ५ मा भने अमावास्या छ 'आसोई' माविनेय. માસની જે પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યા છે તે આશ્વયુજી પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યા છે. कत्तिगी' इत्ति नक्षत्रमा २ ५ मा भने २५मावास्या आवे छे ते तिमास मालिनी ५णि भा भर मावास्या मावे छ 'मगसिरी' भृ३०५ नक्षत्रमा २ पणिभा मन सभाप।२२। मावे छ तमाशीषी पूमा भने ममावास्या छ. 'पोसी' पुष्य नक्षत्रमा જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર
SR No.006356
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages567
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size35 MB
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