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________________ ३१८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे येषां ते प्रवृडादिका ऋतवः कथिताः युगप्रारम्भे ऋत्वेकदेशस्य श्रावणमासस्य प्रवर्त्तमानत्वात् 'सावणाइया मासा' श्रावणादिका मासा युगादौ प्रथमतः श्रावणमासस्यैव प्रवर्तनात, श्रावण. मास आदिः प्रथमो येषां ते श्रावणादिका मासा कथिता इति । 'बहुलाइया पक्खा' बहुलादिकाः पक्षा तत्र बहुलपक्ष:-कृष्णपक्ष आदिर्येयां ते बहुलादिकाः पक्षाः, युगप्रारम्भे श्रावण बहुलपक्षस्य प्रथमतः प्रवर्तनात् । 'दिवसाइया अहोरत्ता' दिवसादिका अहोरात्रा:, तत्र दिवस एव आदिः प्रथमो येषां ते दिवसादिकाः मन्दरपर्वतस्य दक्षिणोत्तरभागयो सूर्योदये एव युगप्रतिपत्तेः परन्तु इदं भरतैरावतापेक्षया ज्ञातव्यम् विदेहापेक्षयातु रात्रावेव युगप्रवृत्तेरिति । 'रोदाइया मुहुत्ता' रुद्रादिका मुहूर्ताः, तत्र रुद्रो रुद्रनामको मुहूर्तः त्रिंशतो मुहूर्तानां मध्ये प्रथमः स रुद्रोमुहूर्त आदिर्येषां ते रुद्रादिका मुहूर्ताः प्रातः काले रुद्रमुहूर्तस्यैव प्रवृतेरिति । 'बालवाइया करणा' बालवादिकानि करणानि कृष्ण पक्ष प्रतिपदिवसे बालव रूप प्रावृट् ऋतु होती है सब ऋतुओं में यह ऋतु युगारम्भ में सर्व प्रथम प्रवृत होती है इस में भी इस ऋतुका एक देश जो श्रावणमास है उसकी ही युग के आरम्भ काल में प्रवृत्ति होती है इसी कारण 'सावणाइया मासा' ऐसा सूत्रकार ने कहा है सब मासों में से युगारम्भ में श्रावणमास ही होता है 'बहुलाइया पक्खा' युग के आरम्भ में सर्व प्रथम कृष्णपक्ष ही प्रवृत्त होता है अर्थात् जब युग का आरम्भ हुआ तब श्रावणमास का कृष्णपक्ष प्रवृत्त था 'दिवसाइया अहोरत्ता' रात दिन में युग के आरम्भ में दिन ही सर्व प्रथम प्रवृत्त होता है-अर्थात् मन्दर पर्वत के दक्षिणोत्तर भागों में सूर्योदय होने पर ही युग की प्रतिपत्ति-युग की आरम्भ-होती है यह जो कथन किया है वह भरतक्षेत्र और ऐरचत क्षेत्र की अपेक्षा से किया है ऐसा जानना चाहिये क्योंकि विदेह क्षेत्र की अपेक्षा युगप्रवृत्ति रात्रि में ही होती है 'रोदाइया मुहुत्ता' ३० मुहूर्तों में सर्व प्रथम मुहूर्त युग की आदि में रुद्र होता है क्योंकि प्रातः काल में रुद्र मुहूर्त की ही प्रवृत्ति होती है 'बालછે. બધી ઋતુઓમાં આ ઋતુ યુગારમ્ભમાં સર્વ પ્રથમ પ્રવૃત્ત થાય છે એમાં પણ આ તુને એક દેશ જે શ્રાવણ માસ છે તેની જ યુગના આરમ્ભકાળમાં પ્રવૃત્તિ થાય છે આ २२ । 'सावणाइया मासा' थे प्रमाणे सूत्र४ारे धुं छे. मयां भासामा युगान्समा श्रावण मास न डाय . 'बहुलाइयापखा' युगना मारममा सर्वप्रथम पक्ष । प्रवृत्त થાય છે અર્થાત જ્યારે યુગને આરભ થયે ત્યારે શ્રાવણ માસને કૃષ્ણ પક્ષ પ્રવૃત્ત હતા. 'दिवसाइया अहोरत्ता' रात-हिवसभा युगना आरममा स स प्रथम प्रवृत्त थाय છે–અર્થાત્ મન્દરપર્વતના દક્ષિણેત્તર ભાગમાં સૂર્યોદય થવા પર જ યુગની પ્રતિપત્તિયુગને આરમ્ભ–થાય છે. આ જે કથન કર્યું છે તે ભરતક્ષેત્ર અને એરવતક્ષેત્રની અપેક્ષાથી કરવામાં આવેલ છે એમ જાણવું જોઈએ. કારણ કે વિદેહ ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ યુગની प्रवृत्ति रात्रिभो थाय छे 'रोदाइया मुहुत्ता' ३० मुत्तमा सर्व प्रथम मुहूत युगनी જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર
SR No.006356
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages567
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size35 MB
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