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________________ ५५४ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे पडलहत्थगयाओ) चङ्गेरी पुष्पपटलहस्तगताः, तत्र चङ्गे- पुष्पपटलं चङ्गेरीपुष्पपटलम् चगरी कुसुमसमूहः तत् हस्तगतं यासां तास्तथा (भिंगार आदंसथालपातीसुपइगवायकरगरयणकरंडपुप्फचंगेरी मल्लवण्णचुण्णगंधहत्थगयाओ ) भृङ्गारादर्शस्थालपात्रीसुप्रतिष्ठकवातकरकरत्नकरण्डपुष्प चङ्गेरीमाल्यवर्णर्णगन्धहस्तगताः, तत्र भृङ्गारकः (झारी) ति भाषा प्रसिद्धः आदर्श दर्पणः स्थालः महतोस्थाली, पात्री लघुस्थाली सुप्रतिष्ठा सुस्थापनं भवति यस्मिन् स सुप्रतिष्ठकः पूर्णघटाद्याधारमात्रविशेषः वातकरकः घटविशेषः रत्नकरण्डः (करंडिया) इति भाषाप्रसिद्धो रत्नाधारपात्रविशेषः, अतः परं नवरं पुष्प चगरीतः आ भ्य माल्यादिपदविशेषितास्तत्तच्चङ्गेय्यों ज्ञातव्या स्तथा च पुष्पचङ्गेरीमाल्यचलेरी, वर्णचङ्गेरी चूर्णचङ्गेरी, गन्धचङ्गेरी एता हस्तगता यासां तास्तथा (वत्थ आभरणलोमहत्थयचंगेरी पुप्फपडलहत्थगयाओ) वस्त्राभरणलोमहस्तक चङ्गेरी पुष्पपटलह. स्तगताः. तत्र लोमहस्तक बद्धमयूरपिच्छसमूहः पुष्पपटल पुष्पसमूहः अतिरिक्तानि प्रसिथे. कितनीक दासियो के हाथ में चंगेरी में पुष्पो का समूह था. (भिंगार आदंस थाल पाति सुपइट्ठगवायकरगरयणकरंड पुप्फचंगेरी मल्लवण्णचुण्णगंधहत्थग़याओ ) कितनीक दासियों के हाथ में भृङ्गारकथा-झारी थी. कितनीक दासियों के हाथ में आदर्श-दर्पण था. कितनीक दासियों के हाथ में स्थाल -बडे२ थाल थे कितनीक दासियों के हाथ में छोटो२ थालियां थी, कितनीक दासियों के हाथ में सुप्रतिष्ठ पूर्ण घटो आदि के आधार भूत पात्रविशेष-थे. कितनीक दासियों के हाथ में वात करक-घटविशेष-थे, कितनीक दासियों के हाथ में रत्नकरण्ड-रत्नो को रखने के पात्र विशेष-थे इसी तरह से किन्हीं२ दासियों के हाथ में पुष्प चंगेरी, किन्हीं२ दासियों के हाथ में वर्ण चङ्गेरी, किन्हीं२ के हाथ में चूर्ण चङ्गेरो और किन्ही२ के हाथ में गन्ध चङ्गेरी थी (वत्थ आभरणलोमहत्थय चंगेरी पुप्फ पडल हत्थगयाओ जाव लोमहत्थ गया ओ) किन्हीं२ दा. दासियों के हाथ में वस्त्र थे, किन्हीं२ दासियों के हाथ में आभरण थे किन्हीं२ दासियो के हाथ पु०का इतi. (भिंगार आदस थाल पाति सुपइट्ठगवायकरगरयणकरंडपुष्फचंगेरी मल्लवण्णचुण्णगंधहत्थगयाओ ) हैटसी हासीमोना हाथामी, मृ॥२३॥ इता, eals દાસીઓના હાથમાં-આદર્શ—દપણે હતાં. કેટલીક દાસીઓના હાથોમાં સ્થા–મોટા-મોટા થાળે હતા કેટલીક દાસી એના હાથમાં નાની-નાની થાળીઓ હતી. કેટલીક દાસીઓના હાથમાં સુપ્રતિષ્ઠક–પૂર્ણ ઘટ-વગેરેના આધાર ભૂતપાત્ર વિશેષ હતા. કેટલીક દાસીઓના હાથોમાં વાતકરક-ઘટ વિશેષ હતાં. કેટલીક દાસીઓના હાથમાં રત્ન કરંડ-૨નોને મકવા મ ટેના પાત્ર વિશે હતાં. એ પ્રમાણે જ કેટલીક દાસીઓના હાથમાં પુપની નૌની છાબડીઓ, કેટલીક દાસીઓના હાથમાં રંગભરેલી નાની છાબડીઓ, કેટલીક દાસીઓના હાથમાં ચૂર્ણ ભરેલી નાની છાબડીઓ, અને કેટલીક દાસીઓના હાથમાં સુગન્ધ-પદાર્થો भवी नानी छामी ती. (वत्थ आमरण लोमहत्थयचंगेरी पुप्फपडलहत्थगयाओ जाव लोमहत्थगयाओ) 2ी हासीमाना डाथेमा पखे। तi Balोसीमानाडायोमा આભરણે હતાં કેટલીક દાસીઓના હાથમાં લોમહસ્તકે હતાં. એટલે કે મયૂરના પિચ્છ. જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર
SR No.006354
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages992
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size62 MB
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