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________________ ८८० सूर्यप्रशप्तिसूत्रे जघन्येन चतुर्भागपल्योपमं कालं यावत् स्थितिर्भवति, तथा सर्वोत्कृष्टतया अर्द्धपल्योपमं कालं यावत् स्थितिर्भवतीति ॥ अथ नक्षत्रविमानसम्बन्धी प्रश्न:-'ता णक्खत्तविमाणेणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' तावत् नक्षत्रविमाने खलु देवानां कियन्तं कालं यावत् नक्षत्रविमाने स्थितिर्भवतीति गौतमस्य प्रश्नस्ततो भगवानाह-'ता जहण्णेणं चउभाग पलियोवम उक्कोसेणं अद्धपलियोवम' तावत जघन्येन चतुर्भागपल्योपमं कालं यावत् तत्र स्थिति भवति, उत्कर्षेण च अर्द्धपल्योपमं कालं यावत् तत्रस्थिति भवतीति ॥ अथ नक्षत्रविमाने देवीनां स्थिति विषयकः प्रश्नः-'ता णक्खत्तविमाणेणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' तावत नक्षत्रविमाने खलु तदधिष्ठातृणां देवीनां तत् सखीनां च तत्र कियन्तं कालं यावत स्थितिर्भवतीति गौतमस्य प्रश्नस्ततो भगवानाह-'ता जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवमं उक्कोसेणं चउब्भागपलियोवमं' तावत् जघन्येन अष्टभागपल्योपमं-एकपल्योपम-2 कालं उक्कोसेणं अद्वपलिओवमं) जघन्य से चतुर्थ भाग पल्योपम तथा उत्कर्ष से आधा पल्योपम की स्थिति होती है। ___अब नक्षत्र विमान विषयक प्रश्न पूछते है-(ता णक्खत्तविमाणेणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता) नक्षत्र विमान में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? इस प्रकार श्रीगौतमस्वामी के प्रश्न को सुनकर उत्तर में श्री भगवान कहते हैं-(ता जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्वपलिओवमं) जघन्य से पल्योपम का चतुर्थ भाग की स्थिति होती है एवं उत्कृष्ट आधापल्योपम की स्थिति कही है। अब नक्षत्रविमान की देवियों की स्थिति को विषय में प्रश्न पूछते हैं-(ता णक्खत्तविमाणेणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णता) नक्षत्र विमान में उनके अधिष्ठात्री देवियों को स्थिति कितने काल की कही है ? इस प्रकार गौतमस्वामी के प्रश्न को सुनकर उत्तर में श्री भगप्रभारी श्रीगीतमस्वाभाना पूछवाथी उत्तरमा श्रीमान् ४ छ-(ता जहणेण पलिओ वम उक्कोसेणं अद्धपलिओवम) “धन्यथा ५८ये।५मना याथा मासी भने ४ थी અર્ધપલ્યોપમ કાળની સ્થિતિ હોય છે. नक्षत्र विमान संधी प्रश्न पूछे छे.-(ता णक्खत्तविमाणेण देवागं केवइय ई पण्णता) नक्षत्र विमानमा हेवानी घटानी स्थिति ही छ? 20 प्रमाणे श्रीगौतमस्वाभीना प्रश्नने सांमजीने उत्तरमा श्रीमान् ४ छ.-(ना जहणेणं चउभागपलिओवम उक्कोसेणं अद्धपलिओवम) धन्यथा ५८ये।५मना याथा मारेकी स्थिति હોય છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી અર્ધા પલ્યોપમ કાળ જેટલી સ્થિતિ કહેલ છે. नक्षत्र विमानना हवियानी स्थिति (वये प्रश्न पछे छे. (ता णक्खत्तविमाणेणं देवीणं केवडय कालं ठिई पण्णत्ता) नक्षत्रविमानमा तमानी अपित्री हेवायोनी स्थिति बनी કહી છે? આ પ્રમાણે શ્રીગૌતમસ્વામીના પ્રશ્નને સાંભળીને ઉત્તરમાં શ્રીભગવાન કહે છે. શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર : ૨
SR No.006352
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1982
Total Pages1111
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size77 MB
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