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________________ सूर्यप्राप्तिसूत्रे नक्षत्रताराणां शीघ्रमन्दगतिविषयकं, ऋद्धिविषयकं विचारं च विवृण्वन्-'ता एएसि णं' इत्यादिना प्रश्नोत्तरसूत्रमाह-'ता एएसि णं चंदिमसरियगहगणनक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरेहितो सिग्धगई वा मंदगई वा' तावत् एतेषां चन्द्र-सूर्य-ग्रह-नक्षत्र-तारारूपाणां मध्ये कतरेभ्यः कतरेभ्यः शीघ्रगतयो वा मन्दगतयो वा !, आपेक्षिकगतिविचारे केभ्यः केभ्यः के के शीघ्रगतयः, के के वा मन्दगतय इति कथय भगवनिति गौतमस्य प्रश्नस्ततो भगवानाह-'ता चंदेहितो सूरा सिग्धगई-सूरेहितो सिग्घगई गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्धगई णक्खत्ते हितो तारा सिग्घगई, सबप्पगई चंदा सव्वसिग्धगई तारा' (ता एएसि णं चंदिम) इत्यादि टीकार्थ-चौराण। सूत्र में चंद्रादि के विमान की संस्थिति एवं उनका आयामादि तथा विमान के अधिष्ठाता देव संबंधी विचारणा करके अब इस पंचाणवें सूत्र में चंद्र-सूर्य, गृह, नक्षत्र एवं ताराओं के शीघ्रमंद गति विषयक एवं उनकी ऋद्धि के विषय में विचार प्रगट करने के उद्देश्य से (ता एएसिणं) इत्यादि प्रश्नोर सूत्र कहते हैं-श्री गौतमस्वामी प्रश्न करते हैं-(ता एएसिणं चंदिमसूरियगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरेहिंतो सिग्घगई वा मंदगई वा), ये चंद्र सूर्य, ग्रह, नक्षत्र तथा ताराओं में कौन किस से शीघ्रगमन वाले हैं। कौन किससे मन्दगति वाले होते हैं अर्थात् अपेक्षित गति विचारणा में कौन किससे शीघ्रगमन वाले हैं । तथा कौन किससे मंद गमनवालें हैं सो हे भगवन् ! आप कहिए इस प्रकार श्री गोतमस्वामी के प्रश्न को सुनकर उत्तर में श्री भगवान् कहते हैं-(ता चंदेहितो सूरा सिग्घगई, सरेहिंतो गहा सिग्घगई गहेहिंतो णखत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहितो तारा सिग्घगई सव्वप्पगई चंदिम) त्याहि. ટકાઈ-ચોરાણુમાં સૂત્રમાં ચંદ્રાદિના વિમાનની સંસ્થિતિ અને તેના આયમાદિ તથા વિમાનના અધિષ્ઠાતાદેવ સંબંધી વિચારણું કરીને હવે આ પંચાણુમાં સૂત્રમાં ચંદ્ર સૂર્યગ્રહ નક્ષત્ર અને તારાઓના શીઘમંદ ગતિ સંબંધી તથા તેમની કૃદ્ધિના સંબંધમાં विया२ प्रगट ४२वाना उद्देशथी (ता एएसि ण च दिमसूरियगह णक्खत्ततारारूवाण कयरे कायरेहितो सिग्धगई वा मंदगई वा) 21 द्र, सूर्य, अ नक्षत्र अने ताशयामा आए કેનાથી શીધ્ર ગતિવાળા છે? કોણ કોનાથી મંદ ગતિવાળા છે? અર્થાત્ અપેક્ષિત ગતિ વિચારણામાં કે કોનાથી શીઘગમનવાળા છે, તથા કોણ કોનાથી મંદગમનવાળા છે? તે હે ભગવન આપ કહો? આ પ્રમાણે શ્રીગૌતમસ્વામીના પ્રશ્નને સાંભળીને ઉત્તરમાં શ્રી मावान् ४ छ.-(ता चंदेहितो सूरा सिग्धगई सूरे हितो गहा सिग्घगई, गहेंहिंतो णक्खत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहितो तारा सिग्धगई, सव्वागई चंदा सव्व सिग्घगई तारा) दीपमा શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: ૨
SR No.006352
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1982
Total Pages1111
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size77 MB
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