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________________ सूर्यज्ञप्तिप्रकाशिका टीका सू० २९ अष्टमं प्राभृतम् ५५७ दिवसे भवई तया णं पच्चधिमेण वि दिवसे भवइ, जया णं पच्चत्थिमेण दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दोवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं राई भवइ ता जया णं दाहिणड्ढे वि उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ. जया णं उत्तरड्डे तया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमेणं जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिसेणं उकोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, तयाणं पच्चस्थिमेण वि उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, जया | पच्चस्थिमेणं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दोवे मंदरस्स पव्वयस्ल उत्तरदाहिणेणं जहणिया दुवालसमुहत्ता राई भवइ, एवं एएणं गमेणं णेयव्वं, अट्ठारस पुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगदुवा. लसमुहुत्ता राई भवइ, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ता राई, सत्तरसमुहत्ताणतरे दिवसे भवइ, सातिरेगतेरसमुहुत्ता राई भवइ, सोलसमुहत्ते दिवसे भवइ चोदसमुहुत्ता राई भवइ, सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ सातिरेगचोदसमुहुत्ता राई भवइ, पण्णरसमुहत्ते दिवसे पण्ण. रसमुहत्ता राई, पण्णरसमुहत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगपण्णरसमुहत्ता राई भवइ, चउद्दसमुहत्ते दिवसे सोलसमुहत्ता राई, चोदसमुहत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसोलसमुहत्ता राई, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगसत्तरसमुहत्ता राई, जहणिए दुवालसमुहुत्ते दिवस भवइ उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, एवं भागियध्वं, ता-जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिण ड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया ण उत्तरड़े वि वासाणं पढमे समए पडिवजह जया णं उत्तरड़े वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तया णं जंबुढीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपच्चत्थिमेणं अणंतरपुरक्खडकालसमयसि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, ता-जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्ययस्स पुरच्छिमेणं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तयाणं पच्चत्थिमेण वि वासाणं पढमे શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: ૧
SR No.006351
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1981
Total Pages1076
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size74 MB
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