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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३५ द्वारसंग्रहगाथाद्वयम् सायमसायं सव्वे सुहं च दुक्खं अदुक्खमसुहं च । माणसरहियं विगलिंदिया उ सेसा दुविह मेव ॥२॥ छाया-शीता च द्रव्यैः, शारीरी साता तथा वेदना भवति दुःखा। आभ्युपगमिकी औपक्रमिकी निदा च अनिदा च ज्ञातव्या ॥१॥ साताम् असातां सर्व सुखां च दुःखाम् अदुःखा सुखाश्च । मानसरहितां विकलेन्द्रियास्तु शेषाः द्विविधा एव ॥ २ ॥ टीका- चतुस्त्रिंशत्तमे पदे वेदपरिणामविशेषरूपा परिचारणा प्ररूपिता सम्प्रति पश्च त्रिंशत्तमे गतिपरिणामविशेषरूपां वेदना प्ररूपयितुम् द्वारसंग्रहगाथाद्वयमाह-'सीया य पैंतीसवां वेदनापद द्वारसंग्रह गाथाएं शब्दार्थ-(सीता य व्वसरीरा साता तह वेदशा अवह दुक्खा) शीत (च) और उष्ण तथा शीतोष्ण (दव्व) द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव से वेदना (सरीरा) शारीरिक वेदना (साता) साता रूपवेदना (दुक्खा) दुःख रूप वेदना अब्भुव. गमोवक्कमिया) अभ्युपगमिकी तथा औपक्रमिकी वेदना (निदाय अनिदाय नायव्वा) निदा-जिस में चित्त लगा हो और अनिदा विवेक से रहित वेदना जानना चाहिए (सायमसायं सवे) साता-माता वेदना सभी जीव वेदते हैं (सुहं च दुक्खं अदुखमस्तुहं च) सुख, दुःख और अदुखसुख वेदना को भी (माणसरहियं विगलिंदिया उ) विकलेन्द्रिय मानस वेदना से रहित हैं (सेसा दुविहमेव) शेष दोनों प्रकार की वेदना वेदते हैं ? ॥सू. २॥ टीकार्थ-चौतीसवें पद में वेद के एक परिणाम परिचारणा की प्ररूपणा की પાંત્રીસમું વેદના પદ દ્વારસંગ્રહ ગાથાઓ शहाथ :-(सीता य दव्व सरीरा साता तह वेयणा भवई दुःखा (सीता) शीत (च) भने ६ तथा शीतY (दव्व) द्रव्य, क्षेत्र, ४८, माथी वन (सरीरा) शारीरी वहना (साता) शत॥३५ ३६ना (दुःखा) दु:५३५ वहना (अब्भुवगमो वक्कमिया) सभ्युपगभीनी तथा मो५मिनी वहन (निदाय अनिदा य नायव्वा) निमा वित्त वायु डाय, भने અનિદા-વિવેકથી રહિત–વેદના જાણવી જોઈએ. ૧ (सायमसायं सवे) शत-शत ना-या ७५ लोग छ (सुह य दुक्खं अदुक्खमसुह य) सुभ, दुः५ अने सुम वहनाने ५५ (माणसरहियं विगलिंदियाउ) विसन्द्रिय मानसनाथी २लित खाय छे. (सेसा दुविहमेव) शेष मने प्रारनी વેદના ભગવે છે. પરા ટીકાર્થ -૩૪ માં પદ્દમાં વેદના એક પરિણામ-પરિચારણની પ્રરૂપણ કરાઈ છે. શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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