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________________ ७४ प्रज्ञापनासूचे देश यं प्रदेश, यावद् वैमानिकानाम्,जीवः खलु भदन्त! यं समयं कायिक्या आधिकरणिक्या प्राद्वेषिक्या क्रियया स्पृष्टः,तं समयं पारितापनिक्या क्रियया स्पृष्टः? प्राणातिपातक्रियया स्पृष्टः ? गौतम! अस्त्येको जीव एकस्माद् जीवाद यं समय कायिक्या अधिकरणिक्या प्राद्वेषिक्या क्रियया स्पृष्ट स्त समयं पारितानिक्या क्रियया स्पृष्टः. प्राणातिपातक्रियया स्पृष्टः ? अस्त्येको जीव एकस्माद् जीवादू यं समयं कायिक्या आधिकरणिक्या प्राद्वेषिक्या क्रियया स्पृष्ट स्तं समयं पारितापनिक्या क्रियया स्पृष्टः प्राणातिपातक्रियया अस्पृष्टः २, अस्त्येको जीव एकस्माद जीवात् यं समय कायिक्या क्रिया होती है ( एवं एएणं अभिलावेण) इस प्रकार इस अभिलापसे (ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियन्या) वेही चार दंडक कहने चाहिए (जस्स) जिसको (जं समय) जिस समयमें (जं देस) जिस देशमें (जं पएस) जिस प्रदेश में (जाव वेमाणियाण) यावत् वैमानिकों तक। __(जीवेण भते ! जं समय काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे) हे भगवन् ! जीव जिस समय कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेषिकी क्रियासे स्पृष्ट होता है (त समय पारियावणियाए पुढे ?) उस समय पारितापनिकी क्रियासे स्पृष्ट होता है? (पाणाइवायकिरियाए पुढे) प्राणातिपात क्रिया से स्पृष्ट होता है ? (गोयमा ! अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ ) हे गौतम ! कोई-कोई जीव किसी जीवकी अपेक्षा से (जं समय) जिस समय (काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे) कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेषिकी क्रियासे स्पृष्ट होता है (त समय पारियावणियाए पुढे) उस समय पारितानिकी क्रियासे स्वृष्ट होता है (पाणाइवायकिरियाए अपुढे) प्राणातिपात क्रिया से अस्पृष्ट या२६४ ४ा मे (जस्स) ने (जं समय) ने समयमा (जं देस) देशमा (जपएस) २ प्रदेशमा (जाव वेमाणियाण) यावत् वैमानिओ सुधी (जीवे ण भंते ! जं समय काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्टे) उमगवन् ! 4 २ समये आयिी माधि४२लिटी अने प्राषिी याथी २५ष्ट थाय छ (त समयं पारियावणियाए पुढे) ते समये पारितायनिी याथी २पृष्ट थाय छ ? (पाणाइवायकिरियाए पुट्टे) પ્રાણાતિપાત કિયાથી પૃષ્ટ થાય છે ? (गोयमा! अत्थेगइए जीये एगइयाओ जीवाओ) गौतम ! U-180404नी अधेक्षाथा (जं समय) समय (काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे) यिी, माधि४२४ी मने प्राषिजी जियाथी २५७८ थाय छे (त समयं परियावरणियाए किरियाए पुढे ) से समये पारितापनि याथी २Yष्ट थाय छ (पाणाइवायकिरियाए पुढे) प्रायातिपात ठियाथी २१ष्ट थाय छ ( अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ) | पनी अपेक्षाथी ( ज समय) के समये ( काइयाए अहिगरणियाए पाओसियार किरियाए पुढे) थि६ माघ४२लिसी भने प्राषि४ लियाथी २५७८ थाय छ (त समय) ते सभये (पारियावणियाए किरियाए पुढे) શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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