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प्रमेयबोधिनी टीका पद २२ सू. ५ क्रियाविशेषनिरूपणम्
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क्रिया क्रियते तस्य प्राणातिपातक्रिया क्रियते, यस्य प्राणातिपातक्रिया क्रियते? तस्य पारितापनिकी क्रिया कियते ? गौतम! यस्य खलु जीवस्य पारितापनिकी क्रियाक्रियते तस्य प्राणातिपातक्रिया स्यात् क्रियते स्यात् नो क्रियते, यस्य पुनःप्राणातिपातक्रिया क्रियते तस्य पारितानिकी क्रिया नियमात् क्रियते यस्य खलु भदन्त ! नैरयिकस्य कायिकी क्रिया क्रियते तस्य अधिकरणिकी क्रिया क्रियते ? गौतम ! यथैव जीवस्य तथैव नैरथिकस्यापि एवं निरन्तरं पावद् वैमानिकस्य, यं समयं खलु उसको आदि की तीन नियम से होती हैं
(जस्स णं भंते ! जीवस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ) हे भगवन् ! जिस जीव को पारितापनिकी क्रिया होती है, ( तस्स पाणाइवायकिरिया कज्जइ ? ) क्या उसको प्राणातिपात क्रिया होती है ? ( जस्स पाणाइवायकिरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ !) जिसको प्राणातिपात क्रिया होती है उसको पारितापनिकी क्रिया होती है ।
( गोयमा ! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स पाणाइवाय किरिया सिय कज्जई सिय नो कज्जइ ) हे गौतम जिस जीव को पारितापनिकी क्रिया होती है उसको प्राणातिपात क्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती । ( जस्स पुण पाणाइवायकिरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया नियमा कज्जइ ) किन्तु जिसको प्राणातिपात क्रिया होती है, उसको पारितापनिकी क्रिया नियम से होती है ।
(जस्स णं भंते ! नेरइयस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स अहिगरणिया किरिया नइ ? ) हे भगवन् जिस नारक जीवको कायिकी क्रिया होती है, उसे क्या आधि करणिकी क्रिया होती है ? ( गोयमा जहेव जीवस्स तहेव नेरइयस्स वि ) हे fire जैसे जीव को वैसेही नारकी को समझना चाहिए ( एवं निरंतरं जाव वेमाणि -
(जस्स णं भंते ! जीवस्स पारियावणिया किरिया कज्जई ) हे भगवन् ! मे अपने पारितानिए। डिया थाय छे (तस्स पाणाइवार्याकरिया कज्जइ ? ) शुं तेने प्रशुतियात डिया थायछे ? (जस्स पाणावा किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ) ने प्राणातिपात दिया थाय छे, तेने पारिता पनिडी डिया थाय छे ? (गोयमा ! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स पाणाइवाय किरिया सिय कज्जई, सिय नो कज्जइ) हे गौतम! के वने पारितापनिडी डिया थाय छे' तेने प्राणातिपात हिया अहायित थाय छे, उहायित नथी थती (जस्स पुण पाणाइवाय किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया नियमा कज्जइ ) हिन्तु भेने प्रातिपात डिया થાય છે, તેને પારિતાપનિકી ક્રિયા નિયમથી થાય છે
(जस्सण' भंते! नेरइयस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स अहिगरणिया किरिया कज्जइ ? ) हे लग वन् ! ने नारउने अयिडी दिया थाय छे, तेने शु मधिरशिडी डिया जव जीवस्स तहेव नेरइयस्स वि) हे गौतम! प्रेम अपने तेभन नारउनु
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
थाय छे ? (गोयमा ! समभवु लेहरियो