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प्रज्ञापनासूत्रे निकी क्रिया क्रियते तस्य कायिकी क्रिया क्रियते ? गौतम ! यस्य खलु जीवस्य कायिकी क्रिया क्रियते तस्य पारितापनिकी क्रियते स्यात् क्रियते स्यात् नो क्रियते, यस्य पुनः पारितापनिकी क्रिया क्रियते तस्य कायिकी नियमात् क्रियते, एवं प्राणातिपातक्रियाऽपि, एवम् आदिमाः परस्परं नियमात् तिखः क्रियन्ते, यस्य आदिमा स्तिस्रः क्रियन्ते तस्य उपरितन्यौ द्वे स्यात् क्रियेते स्यात नो क्रियेते यस्य उपरितन्यौ द्व क्रियेते तस्य आदिमा नियमात् तिस्रः क्रियन्ते,यस्य स्खलु भदन्त! जीवस्य पारितापनिकी
(जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ ?) जीस जीवको कायिकी क्रिया होती है उसे पारितापनिकी क्रिया होतो है ? (जस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स काइया किरिया कज्जइ) जीसको पारितापनिकी क्रिया होती हैं, उसे कायिकी क्रिया होती है ? _ (गोयमा ! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया सिय कज्जइ सिय नो कज्जइ) हे गौतम ! जिस जीव को कायिकी क्रिया होती हैं' उसे पारितापनिकी क्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नही होती हैं (जस्स पुण पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स काइया नियमा कज्जइ) जिसको पारितापनिकी क्रिया होती है, उसे नियम से कायिकी क्रिया होती है ।
(एवं पाणाइवाय किरिया वि) इसी प्रकार प्राणातिपात क्रिया भी (एवं आदिल्लाओ परोप्परं नियमा तिण्णि कज्जति) इस प्रकार आदि की तीन परस्पर नियम से होती है (जस्स आइल्लाओ तिण्णि कज्जति) जिसके आदि की तीन होती है (तस्स उवरिल्लाओ दोनि) उसके आगेकी दो (सिय कज्जति सिय नो कज्जति) कदाचित् होती है कदाचित् नहीं होती (जस्स उवरिल्लाओ दोणि कज्जति) जिसके आगे-अन्त को दो होती है (तस्स आइल्लाओ नियमा तिण्णि कति)
आथिती या थाय छे तेने पारितापनि यिाथाय छ ? (जस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स काइया किरिया कज्जइ ?) ने पारितापनिधी लिया थाय छ, तेन यि लिया थाय छ?
(गोयमा! जस्सणं जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया सिय कज्जइ, सिय नो कन्जइ) હે ગૌતમ! જે જીવને કાયિકી કિયા થાય છે, તેને પારિતાપનિકી ક્રિયા કદાચિત થાય છે, उहायित् नयी थती (जस्स पुण पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स काइया णियमा कज्जइ) ने પારિપતાંકિની ક્રિયા થાય છે, તેને નિયમથી કાયિકી ક્રિયા થાય છે.
(एवं पाणाइवाकिरिया वि) से प्रारे प्रातिपात लिया ५९४ (एवं आदिल्लाओ परोप्पर नियमा तिण्णि कज्जति) से मारे माहिनी न ५२२५२ नियमथी थाय छे. (जस्स आइल्लाओ तिन्नि कति) ने माहिती त्रए याय छे (तस्स उवरिल्लाओ दोन्नि) तेने ५२नी में तेने ५२नी मे (सिय कज्जति सिय नो कज्जति) ४ायित थाय छ भने हायित् नथीं थती (जस्स उवरिल्लाओ दोणि कज्जति ) मेने मागण ॥७॥ नी मे थाय छ ( तस्स आइल्लाओ नियमा तिण्णि कज्जति ) तेने साहिनी १५ नियमयी थाय छे.
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫