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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३१ सू० २ नैरयिकादीनामवधिक्षेत्रज्ञाननिरूपणम् ७८५ पृथिवी नैरयिका जघन्येन त्रीणि गव्यूतानि उत्कृष्टेन अर्द्धचतुर्थानि गव्यूतानि, वालुकाप्रमापृथिवी नैरयिका जघन्येन अर्द्धतृतीयानि गव्यूतानि उत्कृष्टेन त्रीणि गव्यूतानि अवधिना जानन्ति पश्यन्ति, पङ्कप्रभा पृथिवी नैरयिश जघन्येन द्वे गव्य ते उत्कृष्टेन अर्द्धतृतीयानि गव्यतानि अवधिना जानन्ति पश्यन्ति, धूमप्रभा पृथिवीनैरयिका जघन्येन द्वयर्द्धम् गव्यतम्, उत्कृष्टेन द्वे गव्य॒ते अवधिना जानन्ति पश्यन्ति, तमः प्रभापृथिवी नैरयिका जघन्येन गव्यूतम् उत्कृष्टेन द्वय गव्यूतम् अवधिना जानन्ति पश्यन्ति, अधःसप्तम्या पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अवधि से जानते देखते हैं (सक्कर पभा पुढविनेरइया) शर्कराप्रभा के नारको (जहण्णेणं तिणि गा ग्याइं) जघन्य तीन गब्यूति (उक्कोसेणं अध्धुट्ठाई गाउयाई
ओहिणा जाणंति पासंति) उस्कृष्ट साढे तीन गव्यूति अवधि से जानते देखते हैं (वालुयप्पभापुहविनेरइया) वालुकाप्रभा पृथ्वी के नारक (जहण्णेणं अड्ढाइन्जाइं गाउयाई) जघन्य अढाई गव्यूति (उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं) उत्कृष्ट तीन गव्यूति (ओहिणा जाणंति पासंति) अवधि से जानते देखते हैं (पंकप्पभा पुढवि नेरइया) पंकप्रभा पृथिवी के नारक (जहण्णेणं दोषिण गाउयाई) जघन्य दो गव्यूति (उकोसेणं अद्धाइज्जाइं गाउयाई) उत्कृष्ट अढाई गव्यूति (ओहिणा जाणंति पासंति) अवधि से जानते देखते हैं (धूमप्पमापुढधि नेरइया) धूमप्रभा पृथिवी के नारक (जहण्णेणं दिवद्धं गाउयं) डेढ गव्यूति (इकोसेणं दो गाउयाई) उत्कृष्ट दो गव्यूनि (ओहिणा जाणं ति पासंति) अवधि से जानते देखते हैं (तमापुढवि नेरइया) तम प्रभा पृथिवी के नारक (जहण्णेणं गाउयं) जघन्य एक गम्यूति
(सक्करप्रभापुढवि नेरइया) ४२प्रमना ना२४, (जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई) धन्य त्रय यूति. (उक्कोसे अद्धदाई गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति) Gष्ट सत्रय ગભૂતિ અવધિથી જાણે દેખે છે. __(वालुकाप्पभा पुढवि नेरइया) वायु प्रमाना ना२४, (जहण्णेणं अड्ढाइज्जाई गाउयाई) धन्य मढी यूति. (उक्कोसेणं तिष्णि गाउयाइं) अट च्यूत. (ओहिणा जाणंतिपासंति) पश्थिी को हेणे छे.
(पंकापभा पुढवि नेरइया) ५४मा Yीनी ना२४. (जहण्णेणं दोग्णि गाउयाइं) धन्य ये न्यूति. (उक्कोसेणं अद्धाइल्जाइं गाउयाई) कृष्ट मढी यूति. (ओहिणा जाणंति पासंति) अवधिथी गो-हे छे.
(धूमप्पभा पुढविणेर इया) धूमप्रमा पृथ्वीना ना२६, (जहण्णेणं दिवद्धं गाउयाई) ad अच्यूत (उक्कोसेणं दो गाउयाई) Bre मे यूति. (ओहिणा जाणंति पासंति) अवधिया omg-हे छे. (तमा पुढवि नेरइया) तभ:पृथ्वीना ना२४. (जहण्णेणं गाउयं) धन्य : अन्यूति. (उकोसेणं दिवड्ढं गाउयं) rgbट हे द यूति. (ओहिणा जाणंति-पासंति) અવધિથી જાણે–દેખે છે.
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫