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प्रज्ञापनासूत्रे
गौतम ! विधा प्रज्ञता, तद्यथा-श्रु ज्ञानपश्यना अवधिज्ञानपरन्ता, मनः पर्यवज्ञानश्यन्ता, केवलज्ञानपश्यन्ता, श्रुताज्ञान पाकारवश्यन्त', विभङ्गज्ञान साकारवश्यन्ता, अनाकार पश्यन्ता खलु मदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! विविधा प्रज्ञप्ता तद्यथा चक्षुर्दर्शनानाकार पश्यन्ता, अधिदर्शनानाकारपश्यन्ता, केवलदर्शनानाकारपश्यन्ता, एवं जीवानामपि, नैरयितीसवां पश्यता पद
शब्दार्थ - (काइचिह्ना णं भंते ! पासणया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! पश्यन्ता कितने प्रकार की कही है ? (गोयमा ! दुविहा पाणया पण्णत्ता) हे गौतम ! इयत्ता दो प्रकार की कही है (तं जहा - सागारपासणया, अणागारपासणया) वह इस प्रकार - साकारपश्यन्ता और अनाकार पश्यन्ता (सागारपालणया णं भंते ! कचिहा पण्णत्ता) हे भगवन् ! साकार पश्यन्ता कितने प्रकार की कही है ? (गोगमा ! छबिहा पण्णत्ता) हे गौतम ! छह प्रकार की कही है (तं जहा सुयनाण पासणया) श्रुतज्ञान पश्यन्ता ( ओहिनाणपासणया) अवधिज्ञान पश्यन्ता (मणपज्जवनाण पासणया) मनः पर्यवज्ञान पश्यन्ता (केवलनाण पासणया) केवलज्ञान पश्यन्ता (सुयअण्णाण पासणया) श्रुताज्ञान पश्यन्ता (विभंगनाण पासणया) विभंगज्ञान पश्यन्ता !
(अणागारपासण्या णं भंते कइविहा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! अनाकार पश्यन्ता कितने प्रकार की कही है ? (गोगमा ! तिविहा पण्णत्ता) हे गौतम ! तीन प्रकार की कही है (तं जहा चक्खुदंसण अणागारपासणया) चक्षुदर्शन अनाकार पश्यन्ता (ओहिदंसण अणागारपासणया) अवधिदर्शन अनाकार पश्यन्ता ( केचलदंसण अणागारपासणया) केवलदर्शन अनाकार पश्यन्ता ( एवं
शब्दार्थ - (कइविहाणं भंते! पासणया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! पश्यन्ता डेटा प्रा रनी ही छे ? (गोयमा ! दुबिहा पासणया पण्णत्ता) हे गौतम! पश्यन्ता मे प्रकारनी उडी छे (तं जहा - सागारप सणया, अणागारपासणया) ते या प्रार સાકાર પશ્યન્તા અને अनार पश्यन्ता (सागार पासणया णं भंते कइविहा पण्णत्ता) हे भगवन् ! सामा२पश्यन्ता डेटा प्रहारनी ही छे ? (गोयमा छव्विहा पण्णत्ता) हे गौतम! अनी उही छे (तं जहा - सुयनाणपासणया ) श्रुतज्ञान पश्यन्ता ( ओहिनाणपासणया ) अपविज्ञान पश्यन्ता (मणपज्जवनाणपासणया) मनःपवज्ञन पश्यन्ता (केवलनाण पासणया) सज्ञान पश्यन्ता (सुय अण्णाण पासण्या ) श्रुत ज्ञान पश्यन्ता (विभंगनाण पासण्या) विलज्ञान पश्यन्त.
(अणागारपासणया णं भंते ! कइ बिहा पण्णत्ता ?) हे गवन् ! नाहार पश्यन्ता डेंटला प्रभारनी उही छे ? ( तोयमा ! तिविहा पण्णत्ता) हे गौतम आयु प्रभारनी ही छे ( तं जहा - चवखुदंसण अणागारपासणया) यक्षुहर्शन अनार पश्यन्ता (ओद्दिदंसण अणागार पासणया) अपधिदर्शन मनाई।२ पश्यन्ता (केवलदंसण अणागारणसणया) वसहर्शन
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫