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प्रज्ञापनासूत्रे अथ पड्विंशतिमं कर्मवेदबन्धपदम् । मूलम्-“कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा! अट्ठकम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाय वेमाणियाणं जीये णं भंते ! णागावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कइकम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविहबंधए या एगविहबंधए वा, नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं येएमाणे कइ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए या अट्ठविहबंधए वा, एवं जाय वेमाणिए, मणुस्से जहा जीवे, जीवा णं भंते ! णाणावरगिजं कम्मं वेदेमाणा कइ कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताय होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ?, अहया सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगे यर, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य छठिकहबंधगा य३, अहबा सत्तविहबंधगा य अटविहबंधगा य एगविहबंधए य४, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य एगविहबंधगा य५, अहया सत्तविहबंधगा य अटविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधए य६, अहया सत्तहिबंधगा य अटूविहबंधगा य छव्विबंधगे य एगविहबंधगा य७, अहया सत्तविहबंधगा य अटविहबंधगा य छबिहबंधगा य एगविहबंधए य८, अहया सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य छव्यिहबंधगा य एगविहबंधगा य९, एवं एए नव भंगा, अवसेसा णं एगिदियमणूसबज्जाणं तियभंगो जाय वेमाणियाणं, एगिदियाणं सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य, मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! सव्ये वि ताय होज सत्तविहबंधगा १, अहया सत्तविहबंधगा य अटविहबंधगे य२, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्रविहबंधगा य३, अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधए य४, एवं छव्यिहबंधएण वि समं दो भंगा, एगविहबंधएण वि समं दो भंगा, अहया सत्तविहबंधगा य अविहबंधए य छव्यिहबंधए य चउभंगो१,
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫