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प्रमेययोधिनी टीका पद २४ सू० १ कर्मप्रकृतिबन्धनिरूपणम्
चतुर्विशतितमं कर्मप्रकृतिबन्धपदम् मूलम्-“कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! अट्ठकम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-जाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कइकम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविहबंधए वा, नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कइ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा, एवं जाव वेमाणिए, णवरं मणुस्से जहा जोये, जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणा कइ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा य, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्रविहबंधगा य छबिहबंधगे य, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य, रइयाणं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कइ कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा! सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य तिणि भंगा, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहबंधगा यि अटविहबंधगा वि, एवं जाव वणप्फइकाइया, विगलाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तिय भंगो सव्वे वि ताय होज सत्तविहबंधगा, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगे य अहया सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य, मणूसा णं भंते ! णाणावरणिजस्त पुच्छा, गोयमा! सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अटूविहबंधगे य२ अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य३ अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य४ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधगा य५ अहया सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य छविहबंधगे य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगे य छविहबंधगा य ७
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શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫