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प्रज्ञापनासूत्रे १ जातिनामे २ सरीरनामे ३ सरीरोगनामे ४ सरीरबंधणनामे ५ सरीरसंघयण नामे ६ संघाय नामे ७ संठाणनामे ८ वण्णणामे ९ गधनामे १० रसनामे ११ फासणामे १२' तत्र गतिनाम-गम्यते-तथारूपकर्मसचिनैः प्राप्यते इति गति:नारकत्वादि पर्यायपरिणामः, सा च गतिश्चतुर्विधा-नरकगति स्तिर्यग्गति मनुष्यगति देवगतिश्च तज्जनकं नाम गतिनाम. तदपि चतुर्विध मित्यग्रे वक्ष्यते १, प्रकार है (१) गतिनाम(२) जातिनाम(३) शरीरनाम (४) शरीरोपांग नाम (५) शरीर बन्धननाम (६) शरीरसंहनन नाम (७) संपातनाम (८) संस्थान नाम (९) वर्णनाम (१०) गंवनाम (११) रसनाम (१२) स्पर्शनाम १३) अगुरुल घुनाम (१४) उपघात नाम (१५) पराघात नाम (१६) आनुपूर्वी नाम (१७) उच्छ्वास नाम (१८) आतपनाम (१९) उद्योतनाम (२०) विहायोगति नाम (२१) त्रस नाम (२२) स्थावर नाम (२३) सूक्ष्म नाम (२४) बादर नाम (२५) पर्याप्त नाम (२६) अपर्याप्त नाम (२७) साधारण शरीर नाम (२८) प्रत्येक शरीर नाम (२९) स्थिर नाम (३०) अस्थिर नाम (३१) शुभनाम (३२) अशुभ नाम (३३) सुभग नाम (३४) दुर्भग नाम (३५) सुस्वरनाम (३६) दुःस्वर नाम (३७) आदेयनाम (३८) अनादेय नाम (३९) यशः कीर्ति नाम (४०) अयशः कीर्तिनाम (४१) निर्माणनाम और (४२) तीर्थकरनाम इनका स्वरूप इस प्रकार है
(१) गतिनाम कर्म-कर्मवशवत्ती प्राणियों के द्वारा गमन किया जाना गति नामकर्म है, अर्थात् नारकत्व आदि पर्याय रूप परिणाम को गति कहते हैं ! गति के चार भेद है-नरकगति, तिर्यचगति, मनुष्यगति और देवगति ! इन गतियों को उत्पन्न करनेवाला नामकर्म गतिनाम कर्म है।
શ્રી ભગવાન–હે ગૌતમ! નામકર્મ બેંતાલીસ પ્રકારના કહેવાયેલા છે. તે આ પ્રકારે (१) गतिनाम (२) तिनाम (3) शरीरनाम (४) शरीरा५in नाम (५) शरीर अन्धन नाम (6) शरीरसंहनननाम (७) यातनाम (८) संस्थाननाम (८) नाम (१०) गधनाम (११) २सनाम (१२) २५शनाम (१3) अY३.थुनाम (१४) अपघातनाम (१५) ५२राधातनाम (१६) मानुषी नाम (१७)पासनाभ (१८) मातपनाम (16) धोतनाम (२०) विहायोगति नाम (२१) सनाम (२२) स्थापनाम (२३) सूक्ष्मनाम (२४) मारनाम (२५) पर्यातनाम (२९) १५र्यातनाम (२७) साधारण शरीरनाम (२८) प्रत्ये४ शरीरनाम (२८) स्थिरनाम (30) मस्थिरनाम (३१) शुमनाम (२३) मशुमनाम (33) सुमनाम (३४) हुमनाम (3५) सुस्वरनाम (38) हु.५२नाम (३७) मायनाम (३८) अनायनाम (36) यश:जतिनाम (४०) अयश: शतिनाम (४१) निनाम भने (४२) तिर्थ नाम तेमना સ્વરૂપ આ પ્રકારે છે–
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫