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प्रमेयबोधिनी टीका पद २२ सू. ६ क्रियाविशेषनिरूपणम् रयितव्या,यस्य मायाप्रत्यया क्रिया क्रियते तस्य उपरितन्यौ द्वे अपि क्रिये स्यात् क्रियते स्यान्नो क्रियेते, यस्य उपरितन्यौ द्वे क्रियेते तस्य मायाप्रत्यया नियमात क्रियते यस्याप्रत्याख्यानक्रिया क्रियते तस्य मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रिया स्यात् क्रियते स्यानो क्रियते, यस्य पुन मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रिया क्रियते तस्य अप्रत्याख्यानक्रिया नियमात् क्रियते नैरयिकस्य आदिमाश्चतसः परस्परं नियमात् क्रियन्ते, यस्य णियमा कज्जइ) किन्तु जिसको अप्रत्याख्यानी क्रिया होती है, उसको आरंभिकी क्रिया नियमसे होती है ( एवं मिच्छादसणवत्तियाए वि सम) इसी प्रकार मिथ्यादर्शनप्रत्यया के भी साथ कहना चाहिए।
(एवं पारिग्गहिया वि तिहिं उवरिल्लाहिं सम संचारेयव्या) इसी प्रकार पारिग्रहिकी क्रिया भी आगे की तीनों क्रियाओं के साथ जोड लेना चाहिए (जस्स मायावत्तिया किरिया कज्जइ) जिसको मायाप्रत्यया क्रिया होती है (तस्स उवरिल्लाओ दो वि सिय कन्जंति,सिय नो कज्जंति) उसको आगे की दो कदाचित् की जाती है, कदाचित नहीं की जाती हैं (जस्स उपरिल्लाओ दो कज्जंति) जिसको आगे की दो होती है ( तस्स मायावत्तिया नियमा कज्जइ) उसको मायाप्रत्यया नियमसे होती है (जस्स अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ, तस्स मिच्छादसणवत्तिया किरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ) जिसको अप्रत्याख्यान क्रिया होती है, उसे मिथ्या दर्शन प्रत्यया क्रिया कदाचित होती है कदाचित नहीं होती है (जस्स पुण मिच्छादसण वत्तिया किरिया कज्जइ ) जिसको मिथ्यादर्शन प्रत्यया क्रिया होती है (तस्स अपच्चक्खाणकिरिया नियमा कज्जइ) उसको अप्रत्याख्यान क्रिया भी नियमसे होती ही है (नेरइयस्स आइल्लियाओ चत्तारि) नारक को प्रारंभ की चार क्रिया एँ (परोप्पर नियमा कज्जति) परस्पर में नियम से होती हैं (जस्स एनाओ चत्तारि त्याज्यान लिया थाय छ, तेने मालिी (ध्या नियमयी थाय छे (एवं मिच्छादसणवत्तियाए वि सम) यो रे भिथ्याशनप्रत्यया । ५९ साथे काम
(एवं पारिग्गहिया वि तिहिं उवरिल्लेहिं स संचारेयवा) मे रे पारिश्रमिक लिया ५५ भागना त्राणे या-मानी साडी सेवाये जस्स मायावत्तिया किरिया कज्जइ) रेन भायाप्रत्यया छिया याय छ (तस्स उवरिल्लाओ दो वि सिय कज्जति,सिय ना कजति) तने सासजनी में हाथित राय छ, हायित्नथी ४२राती (जस्स उरिल्लाओ दो कज्जति) ने भागना मेथ.य छ(तस्स मायावत्तिया नियमा कज्जइ)तने भाया प्रत्यया नियमथी थाय छ (जस्स अपच्चक्खाण किरिया कज्जइ तस्स मिच्छादसणवत्तिया किरिया सिय कज्जइ, सिय नो कन्जइ) ने मप्रत्यास्यान કિયા હોય છે, તેને મિથ્યાદર્શન પ્રત્યયા ક્રિયા કદાચિત હોય કદાચિત નથી હોતી (ઝરત पुण मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ ) ने मिथ्याशनप्रत्यया जिया हाय छ ( तस्स अप. च्चक्खाणकिरिया नियमा कज्जइ) तने अप्रत्याच्या ठिया नियमयी थाय छे. (नेरइयस्स आई ल्लियाआ चशारि) ना२४ती प्रारमिजी यार जियायो (परापरं नियमा कज्जति) ५२२५२मा निय
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫