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प्रमेयोधिनी टीका पद ३६ सू० १२ वेदनासमुद्घातगतजीवस्यरूपनिरूपणम् १०६५ स्यात् त्रिक्रियः, स्थार चतुष्क्रियः, स्यात् पञ्चकिपः, ते खलु भदन्त ! जीपा स्तेभषो जीयेभ्यः कति क्रियाः ? गौतम ! स्थान त्रिक्रियाः, स्याच्चतुष्क्रियाः, स्यात् पञ्चक्रियाः, स खलु भदन्त ! जीयः ते च जीवा अन्येषां जीवानां परम्पराघातेन कति क्रियाः ? गौतम ! त्रिक्रिया अपि, चतुष्क्रिया अपि, पश्च क्रिया अपि, नैरषिकः खलु भदन्त ! वेदनासमुद्घातेन समवहतः समवहत्य एवं यथैव जीव:, नवरं नैरयिकाभिलापः, एवं निरयशेषं यायद् वैमानिकः, एवं कषाय समुद्घातोऽपि भणितव्यः, जीयः खलु भदन्त ! मारणान्तिकसमुद् क्रियावाला होता है ? (गोयमा ! सिय तिकिरिए) हे गौतम ! कदाचित् तीन क्रियावाला (सिय चत किरिए) कदाचित् चार क्रियावाला (सिय पंचकिरिए) कदाचित पांच क्रियावाला (ते णं जीवा ताओ जीवाओ का किरिया ?) वे जीव उस जीव से कितनी क्रियायाले होते हैं ? (गोयमा ! सिय तिकिरिया) हे गौतम ! कदाचित् तीन क्रियावाले (सिय चउकिरिया) कदाचित् चार क्रियावाले (सिय पंचकिरिया) कदाचित् पाँच क्रियावाले । ___(से गं भंते ! जोवे तेय जीवा) हे भगवन् ! वह जीव और वे जीव (अण्णे सिं जीवाणं) अन्य जीवों का (परंपराघाएण) परम्परा से घात करने से (कइ किरिया) कितनी क्रियावाले होते हैं ? (गोयमा ! तिकिरिया वि चकिरिया वि, पंचकिरिया वि) हे गौतम ! तीन क्रियावाले भी, चार क्रियाघाले भी, पांच कियावाले भी।
(नेरइए णं भंते ! वेयणासमुग्घाएणं समोहए) हे भगवन् ! नारक वेदना समुदघात से समवहत हुआ (एवं जहेव जीये) इस प्रकार जीव के समान (ण वरं नेरइयाभिलायो) विशेष 'नारक' शब्द का उच्चारण करना चाहिए (एवं ठियावाणा डाय छ ? (गोयमा ! सिय ति किरीए) गौतम ! ५४ाय १५ ॥ (सिय चउ किरीए) ४४ाय या२ ठियावा (सिय पंच किरीए) ४.५ पांय यावा (ते ण जीवा ताओ जीवाओ कइ किरीया) ते २५ ते ४थी मी या डाय छ १ । __(गोयमा ! सिय ति किरीया) 3 गौतम ! बाय १५ जियावा (सिय चउ किरीया) हाय या२ (यायाणा (सिय पंच किरीया) हाय पांच ठियावाणा.
(से ण भंते ! जीवे ते य जीवा) है लगपन ! ते ७५ भने ते ७ (अण्णेसिं जीवाणं) 24न्य वानी (परंपराघाएण') ५५राथी धात ४२पाथी (कइ किरीया) हैटी दिया थाय छ ? (गोयमा ! तिकिरिया वि चउकिरिया वि, पंच किरिया वि) हे गौतम ! ત્રણ ક્રિયાવાળા પણ, ચાર ક્રિયાવાળા પણ, પાંચ ક્રિયાવાળા પણ.
___ (नेरइया भंते ! वेयणासमुग्घाहण समोहए) 3 मापन् ! ना२४ वहनासमुधातथी सभहत थयेस (एव जहेव जीवे) मा रीते पनी म (णपर नेरइयाभिलावो) विशेष ना२४, श६-४नु हुन्थ्या२५५ ४२ . (एवं निरवसेस जार वेमाणिए) मारीत
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫