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____ प्रज्ञापनासूत्रे समुद्घातेन समवहताः, मानसमुद्घातेन समवहताः संख्येयगुणाः, मायासमुद्घातेन समयहताः संख्येयगुणाः लोभसमुद्घातेन समवहताः संख्येयगुणाः, असमवहताः संख्येयगुणाः, एवं सर्वदेवाः यावद् वैमानिका, पृथिवीकायिकानां पृच्छा, गौतम ! सर्वस्तोकाः पृथिवी. कायिकाः मानसमुद्घातेन समयहताः, क्रोध समुद्घा तेक समवहता विशेषाधिकाः, मायासमुद्घातेन समयहता विशेषाधिकाः, लोभसमुद्घातेन समयहता विशेषाधिकाः, असमवहताः संख्येयगुणाः, एवं यावत् पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः, मनुष्या यथा जीवाः, नवरं मानसमुद् घातेन सपबहता असंख्येयगुणाः ।। सू० १० ॥ स्थोवा असुरकुमाराणं कोहसमुग्धाएणं समोहया) हे गौतम ! असुरकुमारों में सब से कम क्रोधसमुद्घात से समबहत हैं (माणसमुग्धाएणं समोहया संखेजगुणा) मानसमुद्घात से समयहत संख्यातगुणा हैं (मायासमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा) मायासमुद्रात से समवहत संख्यातगुणा हैं (लोभसमग्घाएणं समोठ्या संखेजगुणा) लोभसमुद्घात से समवहत संख्यातगुणा हैं (असमोहया संखेजगुणा) असमवहत संख्यातगुणा हैं। __ (एवं सव्वदेवा जाय वेमाणिया) इसी प्रकार वैमानिकों तक सभी देव ।
(पुढविकाइयाणं पुच्छा?) पृथ्वीकायिकों संबंधी प्रश्न ? (गोयमा! सदस्थोवा पुढविकाइया माणसमुग्धाएणं समोहया) हे गौतम ! सब से कम पृथ्वीकायिक मानसमुद्घात से समयहत हैं (कोहसमुग्घाएणं समोहया विसे साहिया) क्रोध. समुद्घात से समयहत विशेषाधिक हैं (मायासमुग्घाएणं समोहया विसेसा हिया) मायासमुद्घात से समयहत विशेषाधिक हैं (लोभसमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया) लोभसमुद्घात से समयहत विशेषाधिक हैं (असमोहया संखे. असुरकुमाराण कोहसमुग्घारण समोहया) : गौतम ! सुमाराम माथी यौछ। अध सभुधातथी सभपात छे (माणसमुग्धारण समोहया संखेज्जगुणा) भानसभुधातथी सभपात सभ्यातमा छे (मायासमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा) भायासमुद्धातथी समपहत सभ्यात छे (लोहसमुग्धारण समोहया संखेज्जगुगा) समुद्धातथी सम५हत साता है. (असमोहया संखेज्जगुणा) असमपत सयातमा छे.
(एवं सब देवा जाव वेमाणिया) मे १ २ वैमानि४ सुधी या . (पुढविकाइयाण पुच्छो ?) Yellit समन्धी २७।-प्रश्न (गोयमा ! सव्यत्योया पुढविकाइया माणसमुग्घाएण समोहया) 3 गौतम ! माथी माछ। पृथ्वी14 भानसमुद्धातथी समपत छ (कोहसमुग्धारण समोड्या, विसेसाहिया) यस धातथा सभहत विशेषाधि छ (मायासमुन्धारण समोहया विसेसाहिया) मायासमुद्धातथी सभपत विशेषाधि छ (लोहसमुग्धारण समोड्या विसेसाहिया) समुधातया समत विशेषाधि छ (असमोहया संखेजगुणा) महत vulang (एच जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया) २४
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫