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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३६ सू० १० क्रोधादिसमुद्घाताल्पबहुत्वनिरूपणम् १०४५ समुद्घातेन मानसमुद्घातेन मायासमुद्घातेन लोभसमुद्घातेन समयहतानाम् असमवहतानाश्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा बहुका या तुल्या वा विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोका नैरयिका लोभसमुद्घातेन समवहताः, मायासमुद्घातेन समवहताः संख्येयगुणाः, मानसमुद्घातेन समवहताः संख्येयगुणाः, क्रोधसमुद्घातेन समबहताः संख्येयगुणाः, असमयइताः संख्येयगुणाः, असुरकुमाराणां पृच्छा ? गौतम ! सर्वस्तोका असुरकुमाराः खलु क्रोधहैं (लोभसमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया) लोभसमुद्घात से समवहत विशेषाधिक हैं (अममोहया संखेजगुणा) असमवहत संख्यातगुणा है। ___(एएसि णं भंते ! नेरइयाणं) हे भगवन् ! इन नारकों में (कोहसमुग्घाएणं) क्रोधसमुद्घात से (माणसमुग्घाएणं) मानसमुदघात से (मायासमुग्घाएणं) माया समुदघात से (लोमसमुग्घाएणं) लोभसमुद्घात से (समोहयाणं) समवहत (असमोहयाण य) और असमयहत में से (कयरे कयरेहितो) कौन किस से (अप्पा वा बहुया चा तुल्ला वा पिसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सव्वत्योया नेरच्या लोभसमुग्घाएणं समोहया) हे गौतम ! सब से कम नारक लोभ कषाय से समवहत हैं (मायासमुघाएणं समोहया संखेन्जगुणा) मायासमुद्घात से समवहत संख्यातगुणा हैं (माणसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा) मानसमुदघात से समवहत संख्यातगुणा हैं (कोहसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा) क्रोधसमुद्घात से समवहत संख्यातगुणा हैं (असमोहया संखेजगुणा) असमयहत संख्यातगुणा हैं। (असुरकुमाराणं पुच्छा ?) असुरकुमारों संबंधी प्रश्न ? (गोयमा! सव्य. धातथा सभपहत विशेषाधि छ (असमोहया संखेज्जगुणा) असभपात सध्यात।छे. (एएसिण भंते ! नेरइयाण) 3 भगवन् ! म ना२मा (कोहसमुग्धारण) धिसभुइधातथी (माणसमुग्घाएण) भानसभुधातथी (मायासमुग्घाएण) भायासभुधातथी (लोह समुग्घाएण) मसभुधातथी (समोहयाण) सभपडत (असमोयाण य) मने महत भांथी (कयरे कयरेहितो) 3ए नाथी (अप्पा या बहुया या तुल्ला या विसेसाहिया वा) ५८५, घा, तुल्य 2241 विशेषाधि छ ? (गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया लोभसमुग्घाएण समोहया) गौतम ! साथी माछ। ना२४ सोमायथा समवहत छ (मायासमुग्धारण समोहया संखेज्जगुणा) मायासमुदधातयी सभपत सभ्याताछे (माणसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा) मानसमुद्धातथी मसभहत सध्यातमा छ (कोहसमुग्घाएण समोया संखेज्जगुणा) ओघसमुद्धातथी समपडत छ. सभ्याता (असमोहया खेज्जगुणा) असभपहत सध्यातमा छ, (असुरकुमाराण पुच्छा ?) मसुरमा२। समन्धी प्रश्न ? (गोयमा ! सव्वत्थो वा શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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