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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद २० स० ११ शरीरभेदननिरूपणम् पंचिंदिय ओरालियसरीरे य, चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणिय पंचिदिय ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-संमुच्छिमथलयरचउप्पयतिरिक्खजोणिय पंचिदिय ओरालियसरीरे य, गब्भवतियचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणिय पंचिंदिय ओरालियसरीरे य, संमुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय ओरालियसरोरे णं भंते ! कइविहे पण्गत्ते ? गोयमा! दुविहे पपणत्ते, तं जहा-पजत्तगसंमुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणिय पंचिंदिय ओरालियसरीरे य, अपजत्तगसंमुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्ख जोणिय पंचिं. दिय ओरालियसरीरे य, एवं गभव कतिए वि, परिसप्पथलयरतिरिक्खजोणिय पंचिंदिय ओरालियसरीरे वं भंते ! कइविहे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्ख. जोणिय ओरालियसरीरे य, भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्जोणिय ओरालियसरोरे य, उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिय ओरा. लियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंबिंदियतिरिकखजोणिय ओरालियसरीरे य, गमवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदिय ओरालियसरीरे य संमुच्छिमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अपजत्तसंमुच्छिम उरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय ओरालियसरीरे य, पजत्तगसमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय ओरालियसरीरे य, एवं गब्भवक्कतिय उरपरिसप्पे उक्कओ भेओ, एवं भुयपरिसप्पा वि, संमुच्छिमगम्भवतियपज्जत्ता अपजत्ता य, खहयरा दुविहा पण्णत्ता, तं जहासंमुच्छिमा य गब्भवतिया य, संमुच्छिमा दुविहा पण्णत्ता ? पजत्ता अपजत्ता य, गब्भवक्कंतिया वि पजत्ता, अपज्जत्ता य, मणूस पंचिंदिय ओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पणत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-समुच्छिममणूस पंचिंदिय ओरालियसरीरे य, गम्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय ओरालियसरीरे य, गब्भवक्कतिय मणूस ओरालिय श्री. प्रशान। सूत्र:४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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