________________
१००
___ प्रज्ञापनासत्र न्द्रियतिर्यग्योनिकानां तिर्यग्योनिकीनाश्च कृष्णलेश्यानां यावच्छुक्ललेश्यानां कतरे कतरे भ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम! सर्वस्तोकाः पञ्चन्द्रिय तिर्यगयोनिकाः शुक्ललेश्या, शुक्लले श्याः संख्येयगुणाः, पदमलेश्याः संख्येयगुणाः, तेजोलेश्याः संख्येयगुणाः, कापोतलेश्याः संख्येयगुणाः, नीललेश्य विशेषाधिकाः, कृष्ण(कण्हलेस्सा विसेसाहिया) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं।
(एएसिणं मंते ! पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साणं) हे भगवन् ! इन पंचेन्द्रिय तिर्यंचों और तिर्यच नियों में कृष्णलेश्या, यावत् शुक्ललेल्या वालों में (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सम्वत्थोवा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा) हे गौतम ! सब से कम पंचेन्द्रियतिथंच शुक्ललेश्या वाले हैं (सुक्कलेस्साओ संखिज्जगुणाओ) शुक्ललेश्या वाली तिर्यचिनी संख्यातगुनी हैं। (पद्मलेस्सा संखेज्जगुणा) पद्मलेश्या वाले संख्यातगुणा हैं (पम्हलेस्साओ संखेज्जगुणाओ) पद्मलेश्यावाली संख्यातगुगी हैं। (ते उलेस्सा संखेज्ज. गुणा) तेजोलेश्यावाले संख्यातगुणा हैं (तेउलेस्साओ संखिज्जगुणाओ) तेजो. लेश्यावाली संख्यातगुणी हैं (काउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ) कापोतलेश्यावाली संख्यातगुणी हैं (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीललेश्या वाली विशेषाधिक हैं (कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ) कृष्णलेश्यावाली विशेषाधिक हैं। (काउलेस्सा असंखेज्जगुणा) कापोतलेश्यायाले असंख्यातगुणा हैं । (नीललेस्सा लेस्सा विसेसाहिया) वेश्यावाणा विशेषाधि छे.
(एएसि ण भंते ! पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साणं) हे सगवन् ! मा ५यन्द्रिय तिय थे। मने ति यनीयामा सश्या यावत्
सवेश्यावाणायाम (कयरे कयरेहितो) र नाथी (अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ?) २०६५, ५४), तुझ्य, या विशेषाधि छे.
(गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा) र गौतम ! माथी माछा पान्द्रय तिय य शुसेश्यावा छ (सुक्कलेस्साओ सखिज्जगुणाओ) शुसवेश्यावानी तिय यनी सध्यातमी छ (पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा) ५९मलेश्या सभ्याता छ (पम्हलेस्साओ सखेज्जगुणाओ) पमलेश्यावाणी संज्यातगणी छे (तेउलेस्सा संखेज्जगुणा) तश्या संध्याग छ तेिउलेस्साओ संखिजगुणाओ) तेन्टेश्यावली संयात.
छ (काउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ) पातवेश्यावाणी सभ्यात छ (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीलेश्या विशेषधि छे (कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ) पदोश्यापाणीमा विशेषाधि४ छ (काउलेस्सा अस खेज्जगुणा) पतिलेश्या मध्यात (नीललेस्सा विसेसाहिया) नासवेश्याया विशेषामपित छ (कण्हलेस्सा विसेसाहिया)
श्री. प्रशान। सूत्र:४