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________________ ९०८ प्रज्ञापनासत्रे यिकभवोपपातगतिः, एवं सिद्धवों भेदो भणितव्यः, यश्चैव क्षेत्रोपपातगतौ सचैव, सा एषा देवभवोपपातगतिः, सा एषा भवोपपातगतिः, तत् का सा नो भवोपपातगतिः ? नो भवोपपातगतिः द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पुद्गलनोभवोपपातगतिः, सिद्धनोभवोपपातगतिः, तत् का सा पुद्गलनोभवोपपातगतिः ? पुद्गलनोभवोपपातगतिः यत् खलु परमाणुपुद्गलो लोकस्य पौरस्त्यात् चरमान्तात् पश्चिमं चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति, पश्चिमावा चरमान्तात् पौरस्त्यं चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति, दक्षिणाद्वा चरमान्ताद् उत्तरं चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति, भवोपपातगति सात प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (एवं) इस प्रकार (सिद्धवज्जो) सिद्धको वर्ज कर (भेदो) भेद (भाणितव्यो) कहना चाहिए (जो चेव खेत्तोववायगतीए) जो क्षेत्रोपपातगति में (सो चेव) वही (से तं देवभवोववायगती) यह देवभवोपपातगति हुई (से तं भवोचवायगती) यह भवो पणतगति का निरूपण हुआ। ___ (से किं तं नो भवोववायगती ?) नो भवोपपातगति क्या है ? (नो भवोय. वायगती दुविहा पण्णत्ता) नोभवोपपातगति दो प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (पोग्गलणोभवोववायगती) पुद्गलनोभवोपपातगति (सिद्ध नो भवोचवायगती) सिद्धनोभवोपपातगति (से किं तं पोग्गलनोभवोववायगती ?) पुद्गलनोभवोपपातगति क्या है ? (पोग्गलनोभवोचवायगती) पुद्गलनोभवोपपातगति (जं णं परमाणुपोग्गले) जो कि परमाणु पुद्गल (लोगस्स पुरथिमिल्लामो चरमंताओ) लोक के पूर्ववर्ती चस्मान्त से अर्थात् छेद से (पच्चथिमिल्लं चरमंत) पश्चिमी चरमान्त तक (एगसमएणं) एक समय में (गच्छति) जाता है (पच्चस्थिमिल्लाओ वा चरमंताओ) अथवा ववायगती सत्तविहा पण्णत्ता) ना२४ सवा५पातयति सात प्रा२नी छ (तं जहा) ते ॥ प्रहार (एवं) से प्रारे (सिद्धवज्झो) सिद्धने त्यने (भेदो। लेह (माणियव्वो) ४ नमे (जो चेव खेत्तोववायगतीए) ने क्षेत्रातगतिमा (सो चेव) तन (सेतं देव भवोवायगती) मा ५ वा५यातमति 5 (सेतं भवोववायगती) 0 m५५तगतिनु नि३५५५ थयु (से किं तं नो भवोवायगती) Maayातातिशु छ ? (नो भवोववायगती दुविहा पण्णत्ता) २ मवा५यातति में प्रा२नी ही छ (तं जहा) प्रारे (पोग्गलणो भवोववायगती) पुल न म५५ातमति (सिद्ध नो भवोववायगती) सिद्ध न मा५५id शति (से कि तं पोग्गल नो भवोवायगती ?) युगल नामवा५पातति छ ? (पोग्गल नोभवोचवायगती) पुगतनामा५पातमति (जं णं परमाणुपोग्गले) ने ५२मा पुल (लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ) सन पूर्ववती यरमा-तथी (पंच्चथिमिल्लं चरमंतं) पश्चिमी यमात सुधी (एगसमएणं) मे समयमा (गच्छति) नय छ (पच्चथिमिल्लाओ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્રઃ ૩
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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