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________________ प्रज्ञापनासत्रे गतिः, जम्बूद्वीपे द्वीपे निषधनीलवद् वर्षधरपर्वते सपक्षं सप्रतिदिक् सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, जम्बूद्वीपे द्वीपे पूर्वविदेहापरविदेहे सपक्षं सप्रतिदिक् सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, जम्बूद्वीपे द्वीपे देवकुरुत्तरकुरौ सपक्षं सप्रतिदिक् सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरपर्वतस्य सपक्ष सप्रतिदिक् सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, लवणे समुद्रे सपक्षं सप्रतिदिक् सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, धातकी खण्डे द्वीपे पूर्वार्द्धपश्चिमार्द्धमन्दरपर्वतस्य सपक्षं सप्रतिदिक् सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, कालोदसमुद्रस्य सपक्षं सप्रतिदिक सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, पुष्करयरद्वीपार्द्धपूर्वार्द्ध भरतैरावत वर्षस्य सपक्षं सप्रतिदिक् सिद्धिक्षेत्रोपपातगतिः, एवं यावत् पुष्करवरद्वीपार्द्धपश्चिमार्द्धमन्दरद्वीप नामक द्वीप में गंधापाती, माल्यवन्त पर्वत तथा वृत्तवैताढ्य के सब दिशामें और सब विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है (जंधुद्दीये दीवेणिसहणीलवंतवास. हरपव्वतसपक्खि सपडिदिसि सिद्धवखेत्तोववायगती) जम्बूद्वीप नामक द्वीप में निषध और नीलवन्त नामक वर्षधर पर्वत के सब दिशा-विदिशाओं में सिद्ध. क्षेत्रोपपातगति है (जंबुद्दीवे दीवे पुम्वविदेहावरविदेहसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती) जम्बुद्धीप नामक द्वीप में पूर्व विदेह और अपरविदेह के सभी दिशाओं-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है (जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरुसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोवचायगती) जम्बूद्वीप नामक द्वीप में देवकुरु और उत्तरकुरु में सब दिशा-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है (जंबुद्दीवे दीवे मंदरपव्वयस्स सपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोक्वायगती) जंबू. द्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत में सब दिशा-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोंपपातगति है _ (लवणे समुद्दे सपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती) लवण समुद्र में सब दिशा-विदिशाओं में सिद्धक्षेत्रोपपातगति है (धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धवंत पचय वट्टवेड्ढ य सपक्खं सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती) भूदीप नाम दीपमा ગંધાપાતી, માલ્યવન્ત પર્વત વૃત્તવેતાયની બધી દિશાઓમાં બધી વિદિશાઓમાં સિદ્ધ क्षेत्रा५पातति छ (जंबूदीवे दीवे णिसहनीलवंतवासहरपव्यतसपक्खिं सपडिदिसि सिद्ध. खेत्तोववायगती) पूदी५ नाम दीपभा निषध मने नीसन्त नभ १५'५२ पतनी मधा हिश-विदिशामामा सिद्धक्षेत्रात गति छ (जम्बूद्दीवे दीवे पुव्यविदेहावरविदेह सपक्खिं सपडिदिसि सिद्ध खेत्तोववायगती) मुद्री५ नाम द्वीपमा ५ विटेड मने २०५२ विनी मधी -विशायमा सिद्धक्षेत्री५पातति छे (जम्बुद्दीवे दीवे देवकुरु-उत्तर कुरु सपक्खिं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती) द्वी५ नाम द्वीपमा ३ भने उत्तर १३भा मधी हिमो-विहिशामामा सिद्धक्षेत्रा५पातति छ (जम्बुद्दीवे दीवे मंदर पव्वयस्स सपक्खिं सपीडदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती) ४ी५ नाम द्वीपमा भ.४२ पतमा मधी દિશા-વિદિશાઓમાં સિદ્ધક્ષેત્રે પાતગતિ છે (लवणसमुद्दे सपरिखं सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती) सपणु समुद्रमा मधी ६ विशयम सिद्धक्षेत्री५५तगति छे (धायइ खंडे दीवे पुरथिमद्धं पच्छिमद्धमंदरप व्यय. શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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