________________
प्रमेययोधिनी टीका पद १५ २० १० इन्द्रियादिनिरूपणम् कियन्ति पुरस्कृतानि ? न सन्ति, एवं यावत् पञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकत्वे मनुष्यत्वे अतीतानि अनन्तानि, बद्धानि न सन्ति, पुरस्कृतानि अष्टौ वा पोडश वा, चतुर्विंशति र्वा, वानव्यन्तरो ज्योतिष्कत्वे यथा नैरयिकत्वे सौधर्मदेवत्वे अतीतानि अनन्तानि, बद्धानि न सन्ति, पुरस्कृतानि कस्यचित् सन्ति, कस्यचिन्न सन्ति, यस्य सन्ति अष्टौ वा षोडश वा, चतुर्विंशति , संख्येयानि वा, एवं यावद् ग्रैवेयकदेवत्वे, विजयवैजयन्तजयन्तापराजितदेवत्वे अतीतानि कस्यचित् सन्ति कस्यचिन्न सन्ति, यस्य अस्ति अष्टौ, कियन्ति बद्धानि ? अष्टौ, कियन्ति देवकी नारकपने कितनी अतीत द्रव्येन्द्रियां हैं ? (गोयमा ! अणंता) हे गौतम ! अनन्त (केवइया बदेल्लगा?) बद्ध कितनी? (णस्थि) नहीं हैं (केवइया. पुरेक्खडा ?) आगामी कितनी ? (णस्थि) नहीं है (केवइया पुरेक्खडा) आगामी कितनी है ? (णस्थि) नहीं है (एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ते, मणूसत्ते अतीता अणंता) इसी प्रकार पंचेन्द्रियतिथंचपने , और मनुष्यपने अतीत अनन्त हैं (बद्धेल्लगा णत्थि) बद्ध नहीं (पुरेक्खडा अट्ट वा सोलस वा, चउवीसा वा संखेज्जा वा) आगामी आठ, सोलह अथवा चौवीस या संख्यात (वाणमंतरे जोइसियत्ते जहा नेरइयत्ते) वानव्यन्तर और ज्योतिष्कपने जैसे नारकपने (सोहम्मगदेवत्त अतीता अणंता) सौधर्मदेवपने अतीत अनन्त (बद्धेल्लगा णत्थि) पद्ध नहीं हैं (पुरेक्खड़ा कस्सह अस्थि, कस्सइ नत्थि) आगामी किसी के हैं, किसी की नहीं (जस्स अस्थि अट्ठ वा, सोलस वा, चउवीसा वा, संखेज्जा वा) जिसकी हैं, आठ, सोलह वा, संख्यात हैं (एवं जाव गेवेज्जगदेवत्ते) इसी प्रकार ग्रैवेयकदेवपने (विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवत्ते अतीता कस्सइ अस्थि, कस्सइ नत्थि) विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवपने अतीत किसी की हैं, किसी की હે ભગવન ! એક એક વિજય વૈજ્યન્ત, જ્યન્ત અને અપરાજિત દેવની નારકપણે
क्षी अतीत द्रव्येन्द्रिय छ । (गोयमा ! अणंता) गौतम ! अनत (केवइया बल्लिगा १) म हेटही ? (पत्थि) नयी (केवइया पुरेक्खडा) २॥भी उसी ? (णत्थि) नथी (एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ते अतीता अणंता) मे ४ारे ५येन्द्रिय तिय ५५ मने मनुष्य ५२ मतात मनत छ (बल्लिगा णत्थि) मद्ध नथी (पुरेक्खडा अट्ठ वा, सोलस वा, चउ. वीसा बा संखेज्जा वा) भाभी 28, सोण, यावीस मा२ संध्यात (वाणमंतरजोइसियत्ते जहा नेरइयत्ते) पाव्यन्त२ अरे ज्योति०४५२ रेभ ना२४ पणे (सोहम्मगदेवत्ते अतीता अणंता) सौधम ३५ मतीत अनन्त (बल्लिगा णत्थि) मदनथी (पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि, कस्सइ नत्थि) भाभी ने छ भने ४४२ नथी (जस्स अस्थि अट्रवा सोलस वा, चउरीसा वा, संखेज्जा वा) २२ छ तो 28, सो, २१२ यापीस, मार सभ्यात (एवं जाव गेवेज्जगदेवत्ते) मे०४ ५४ारे यावत् अवेय४ हेवपणे (विजयवेजयन्तजयन्ता. पराजियदेवत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सई नत्थि) विय, वैश्यन्त, यन्त भने अ५२१
प्र० ९३
श्री. प्रशान। सूत्र : 3