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प्रज्ञापनासूत्रे
चिबुक बिन्दु संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम्, तेजस्कायिकानां सूचीकलापसंस्थानसंस्थित प्रज्ञप्तम्, वायुकायिकानां पताका संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम्, वनस्पतिकायिकानां नानासंस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम्, द्वीन्द्रियाणां भदन्त ! कति इन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! द्वे इन्द्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा - जिह्वेन्द्रियं स्पर्शनेन्द्रियम् द्वयोरपि इन्द्रिययोः संस्थानं बाहल्यं पृथुत्वं प्रदेशः, अवगाहना च यथा औधिकानां भणिता तथा भणितव्या, नवरं स्पर्शनेन्द्रियम् हुण्डसंस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तमित्ययं विशेषः, एतेषां खलु भदन्त ! द्वीन्द्रियाणां जिह्वेन्द्रियस्पर्शनेन्द्रियविसेसो दट्ठवो ) विशेषता यह है कि संस्थान में यह विशेषता जाननी चाहिए ।
(Isarsari freगबिंदु संठाणसंठिए पण्णत्ते) अष्कायिकों का संस्थान बुलबुदे के आकार का है (तेउकाइयाणं सूइकलावसंठाणसंठिए पण्णत्ते) तेजोकायिकों का संस्थान सूचीकलाप के सदृश है (वाउकाइयाणं पडागासंठाणसंठिए पण्णत्ते) वायुकायिकों का संस्थान पताका के समान कहा है (वण फइकाइयाणं णाणासठाणसंठिए पण्णत्ते) वनस्पतिकायिकों का आकार नाना प्रकार का कहा है ।
(बेदियाणं भंते ! कइ इंदिया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! द्वीन्द्रियों के कितनी इन्द्रियां कही हैं ? (गोयमा ! दो इंदिया पण्णत्ता) हे गौतम ! दो इन्द्रियां कही हैं । (तं जहा - जिभिदिए, फर्सिदिए ) वे इस प्रकार - - जिहवेन्द्रिय और स्पर्शनेन्द्रिय (दोपहंवि इंदिया) दोनों इन्द्रियों का (संठाणं) संस्थान ( बाहल्लं) बाहल्य ( पोहन्तं) पृथुता (पएस) प्रदेश (ओगाहणा य) और अवगाहना (जहा ओहियाणं भणिया) जैसी समुच्चय की कही है (तहा भाणियव्या) वैसी कहना (णवरं) विशेष ( फार्सिदिए हुडठाणसंठिए पण्णत्ते ति इमो विसेसो) स्पर्शनेन्द्रिय इंडक (आउकाइयाणं थिबुगबिंदुठा णसंठिए पण्णत्ते ?) अच्छायिोना संस्थान समुहोना (परपोटा) आहारना छे (तेउकाइयाणं सूइकलावसंठाणसंठिए पण्णत्ते) ते स्ठायिना संस्थान सूथिसापना सदृश छे (वाउकाइयाणं पडागाठाणसंठिए पण्णत्ते) वायुयिना संस्थान पताना समान ४।। छे ( वणप्फइकाइयाणं णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते) वनस्पतिअयिडेना
આકાર નાના પ્રકારના કહ્યા
(बेइं दियाणं भंते ! कइ इंदिया पण्णत्ता १) हे भगवन् ! द्वीन्द्रियोनी डेटली हन्द्रियो કહી १ (गोयमा ! दो इंदिया पण्णत्ता) हे गौतम! मे इन्द्रियो गाडी छे (तं जहा जिभि दिए, फार्सिदिए ) ते या प्रारे लिहूवेन्द्रिय मने स्यर्शेन्द्रिय (दोहंपि इंदियाणं) भन्ने न्द्रिथाना (संठाण) संस्थान ( बाहल्लं) माहुल्य ( पोहत्तं ) पृथुता (पएस) प्रदेश (ओगाहणा य) भाने अवगाहना (जहा ओहियाणं भाणिया) नेवी समुदयनी उही छे (तही भाणियव्वा ) तेवी देवी (णवरं) विशेष ( फार्सिदिए हुडसंठाणसंठिए पण्णत्ते ति इमो विसेसो) २५/નેન્દ્રિય 'ફ સસ્થાત વાળી છે, એ નિશેષતા છે
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩