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प्रज्ञापनासूत्रे
प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! दशसंज्ञा प्रज्ञप्ताः तद्यथा - आहारसंज्ञा यावत् - ओघसंज्ञा, असुरकुमाराणां भदन्त ! कति संज्ञाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! दश संज्ञाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - आहारसंज्ञा यावत्ओघसंज्ञा, एवं यावत् स्तनितकुमाराणाम्, एवं पृथिवीकायिकानां यावत् वैमानिकामसानानां ज्ञातव्यम्, नैरयिकाः खलु भदन्त ! किम् आहारसंज्ञोपयुक्ताः, भयसंज्ञोपयुक्ताः, मैथुनसंज्ञोपयुक्ताः परिग्रहसंज्ञोपयुक्ताः ? गौतम ! उत्सन्नं कारणं प्रतीत्य भयसंज्ञोपसन्ना) ओघसंज्ञा ।
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( नेरइयाणं भंते ! कति सन्नाओ पण्णत्ताओ ?) हे भगवन् ! नारकों में किती संज्ञाएं कही है ? (गोयमा ! दस सन्नाओ पण्णत्ताओ) हे गौतम! दस संज्ञाएं कही हैं (तं जहा) वे इस प्रकार ( आहारसन्ना जाव ओघसन्ना) आहारसंज्ञा यावत् ओघसंज्ञा
(असुरकुमाराणं भंते ! कइ सन्नाओ पण्णत्ताओ ?) हे भगवन् ! असुरकुमारों में कितनी संज्ञाएं कही है ? (गोयमा !) हे गौतम ! ( दस सन्नाओ पण्णत्ताओ) दश संज्ञाएं कही है (तं जहा ) वे इस प्रकार ( आहारसन्ना जाव ओघसन्ना ?) आहार संज्ञा यावनू ओघसंज्ञा ( एवं जाव धणियकुमाराणं) इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक ( एवं पुढविकाइयाणं) इसी प्रकार पृथ्वीकायिकों में (जाव वैमाणियाणं नेयव्यं) यावत् वैमानिकों तक जानना चाहिए ।
(नेरइयाणं भंते ! किं आहारसन्नोवउत्ता) हे भगवन् ! नारक क्या आहार संज्ञा में उपयुक्त अथवा उपयोग वाले होते हैं ? ( भयसन्नोवउत्ता ? ) भयसंज्ञा में उपयुक्त होते हैं ? (मेहुणसन्नोवउत्ता ?) मैथुनसंज्ञा में उपयुक्त होते हैं ? (मायासन्ना) भाया सौंज्ञा (लोहसन्ना) बाल संज्ञा (लोयसन्ना) से संज्ञा (ओधसन्ना) शोध संज्ञा
(नेरइयाणं भंते! कति सन्नाओ पण्णत्ताओ ?) हे भगवन् ! नारभां डेंटली संज्ञाओ छे ? (गोयमा ! दस सन्नाओ पण्णत्ताओ) हे गौतम! हश संज्ञाओो उही छे (तं जहा ) तेथे। या अठारे (आहारसन्ना जाव ओघसन्ना) आहार संज्ञा यावत् शोध संज्ञा
(असुरकुमाराणं भंते ! कइ सन्नाओ पण्णत्ताओ ?) हे भगवन् ! असुरसुभाशभां डेंटली संज्ञाओ। अहेली छे ? (गोचमा ! ) हे गौतम! ( दस सन्नाओ पण्णत्ताओ) ४ संज्ञाओ अही छे (तं जहा ते भा प्रारे (आहारसंन्ना जाव आघसना ?) आहार संज्ञा यावत् शोध संज्ञा (एवं जाव थणियकुमारागं) से प्रारे स्तनितकुमार सुधी ( एवं पुढविकाइयाणं) मे प्रभाणे पृथ्विद्वायि।मां (जाव वेमाणियाणं नेयव्यं) यावत् वैभानिहै। सुधी लावु लेहो
(नेरइयाणं भंते! किं आहारसन्नोवउत्ता) हे भगवन् नाउ शु आहार सौंज्ञाभां ७५युक्त अर्थात् उपयोगवाना थाय छे ? ( भयसन्नोवउत्ता १) लय संज्ञामां उपयुक्त थाय छे १ (मेहुणसन्नोवउत्ता ?) मैथुन संज्ञामा उपयुक्त थाय छे ? ( परिग्गहसन्नो उत्ता १)
श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3