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________________ ४६२ प्रज्ञापनासूत्रे वि, तेया कम्मगा जहा एएसिं चेव ओरालिया, एवं आउकाइया तेउ. काइया वि । वाउकाइयाणं भंते ! केवइया ओरालिय सरीरा पण्णता? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बधेल्लगा य मुक्केल्लगा य, दुविहा वि जहा पुढविक्काइयाणं ओरलिया, वेउवियाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बधेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बधेल्लगा ते णं असंखेज्जा समए समए अवहीरमाणा अवहीरमाणा पलियोवमस्त असंखेजइभागमेत्तणं कालेणं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया, मुक्केल्लगा जहा पुढ विकाइयाणं, आहारगतेया कम्मा जहा पुढवीकाइयाणं, वणप्फइकाइयाणं जहा पुढविकाइयाणं, णवरं तेया कम्मगा जहा ओहिया तेया कम्मगा, बेइंदियाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरगा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, बघेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बधेल्लगा तेणं असंखेजा, असंखेजाहिं उस्सप्पिणिओ-सप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेजइ भागे, तासिणं सेढीणं विखंभसूई, असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ असंखेजाइं सेढिवग्गमूलाई ॥सू० ५॥ छाया-पृथिवीकायिकानां भदन्त ! कियन्ति औदारिकशरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! द्विविधानि प्रज्ञप्तानि ? तद्यथा-बद्धानि च मुक्तानि च, तत्र खलु यानि तावद् बद्धानि तानि पृथ्वी कायिकादिक के शरीर शब्दार्थ (पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरगा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! पृथ्वीकायिकों के औदारिक शरीर कितने कहे गए हैं ? (गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बधेल्लगा य मुक्केल्लगा य) हे गौतम ! दो प्रकार के कहे गए हैं, वे इस प्रकार-बद्ध और मुक्त (तत्थ णं जे ते बदधेल्लगा ते णं असंखेजा) उनमें जो बद्ध हैं, वे असंख्यात है (असखे जाहिं उत्सप्पिणि ओसप्पि પૃથ્વીકાયિકાદિના શરીર walथ-(पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरगा पण्णत्ता) भगवन् ! पृथिवीआयिन मोहा४ि शरीर ai si छ ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता तं जहा) : गौतम ! में हारना छ. ते मारे छे-पर मन भुत (तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं असंखेज्जा) तमामा मद्ध छ, तम। २मध्यात छ (असंखेन्जाहिं उत्सपिणि-ओसप्पिणोहिं अवहीरंति श्री प्रशान। सूत्र : 3
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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