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प्रज्ञापनासूत्रे भाषकतया निसृजति ? गौतम ! सत्यभाषकतया निसृजति नो मृपाभाषकतया निस जति, नो सत्यमृषाभाषकतया निसृजति, नो असत्यमृषाभाषकतया निसृजति, एवम् एकेन्द्रियविकलेन्द्रियवों दण्डको यावद् वैमानिका, एवं पृथक्त्वेनापि जीवः खलु भदन्त ! यानि द्रव्याणि मृषाभाषकतया गृह्णाति तानि कि सत्यभाषकतया निसृजति, मृषाभाषकतया, सत्यमृषाभाषकतया, असत्यमृपाभाषकतया निसृजति ? गौतम ! नो सत्यभाजीव जिन द्रव्यों को सत्यभाषा के रूप मे ग्रहण करता है (ताई कि सच्चभासत्ताए निसिरइ, मोसभासताए निसरइ, सच्चामोसभासत्ताए निसरइ, अस. च्चामोसभासत्ताए निसरइ ?) उन्हें क्या सत्यभाषा के रूप मे निकालता है, असत्यभाषा के रूप मे निकालता है, सत्यामृषा भाषा के रूप मे निकालता है अथवा असत्यामृषा-व्यवहार भाषा के रूप मे निकालता है ? (गोयमा ! सच्च भासत्ताए निसरई) हे गौतम! सत्यभाषा के रूप में निकालता है (नो मोसभासत्ताए निसरति, नो सच्चामोसभासत्ताए निसरति, नो असच्चामोसभासत्ताए निसरति) मृषाभाषा के रूप मे नहीं निकालता, सत्यामृषाभाषा के रूप मे नहीं निकालता, असत्यामृषा भाषा के रूप में नहीं निकालता, (एवं एगि. दिय-विगलिंदियवज्जो दंडओ जाव वेमाणिया) इसी प्रकार एकेन्द्रियों और विकलेन्द्रियों को छोडकर वैमानिक तक दण्डक कहना चाहिए (एवं पुहुत्तेणवि) इसी प्रकार बहुवचन से भी - (जीवे णं भंते ! जाई दवाई मोसभासत्ताए गिण्हति) हे भगवन् ! जिन द्रव्यों को जीव मृषाभाषा के रूप में ग्रहण करता हैं (ताई कि सच्चभासत्ताए निसरति) उन्हें क्या सत्य भाषा के रूप मे निकालता है (मोसभासत्ताए, २ द्रव्योन सत्य सापान॥ ३५मा अड ५२ छ (ताई किं सच्चभासत्ताए निसरइ, मोस भासत्ताए निसरइ, सच्चामोसमासत्ताए निसरइ, असच्चामोसभासत्ताए निसरइ ?) तमने शुरू સત્ય ભાષાના રૂપમાં બહાર કાઢે છે અસત્ય ભાષાના રૂપમાં કાઢે છે, સત્યા મૃષા ભાષાના ३५मां छे. अथवा असत्या भूषा-व्यवहार मान ३५भा छ ? (गोयमा ! सच्चा भासत्ताए निसरइ) 3 गोतम ! सत्य सापान३५मा ४४ छ (नो मोलभासत्ताए निसरइ, नो सच्चामोसभासत्ताए निसरति, नो असच्चामोसभासत्ताए निसरति) भृषा भाषाना ३५मां નથી બહાર કાઢતા સત્યમૃષા ભાષાના રૂપમાં નથી કાઢતા, અસત્યા મૃષા ભાષાના રૂપમાં नथी । (एवं एगिदियविगलिंदियवज्जो दंडओ जाव वेमाणिया) से प्रसार सन्द्रिया भने विसन्द्रिये सिवाय वैमानि सुधान। । ४३१। ये (एवं पुहुत्तेण वि) से પ્રકારે બહુવચનથી પણ કહી લેવા.
(जीवेणं भंते ! जाई व्वाई मोसभासत्ताए गिण्हति) 3 भगवन् ! २ द्रव्यान १ भूषा लापान। ३५मां घड ४२ छ (ताई कि सच्चभासत्ताए निसरति) तमने शु सत्य भाषाना ३५मा मडा२ ४४ छ (मोसभासत्ताए, सच्चामोसभासत्ताए, असच्चामोसभास
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩