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प्रमेयबोधिनी टीका पद ११ सू. ५ भाषाकारणादिनिरूपणम् कुतश्च प्रभवति ? कतिभिर्वा समयैः भाषां भाषते ? भाषा कति प्रकारा, कति वा भाषा अनुमता तु ॥१॥ शरीरप्रभवा भाषा द्वाभ्यां च समयाभ्यां भाषते भाषाम् । भाषा चतुष्पकारिका दच भाषे अनुमते तु ॥२॥ कतिविधा खलु भदन्त ! भाषा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! द्विविधा भाषा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पर्याप्तिका च अपर्याप्तिका च, पर्याप्तिका खलु भदन्त ! भाषा कतिविधा प्रज्ञप्ता, गौतम ! द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-सत्या मृषा च, सत्या खलु भदन्त ! भाषा पर्याप्तिका कति विधा (पण्णत्ता) कही है
(भासा कओ य पभवति) भाषा कहां से उद्भूत होती है ? (कतिहि व समएहि भासती भासं) कितने समयों में भाषा बोली जाती है ? (भासा कति. प्पगारा) भाषा कितने प्रकार की है ? (कति वा भासा अणुमया उ) कितनी भाषाएं अनुमत हैं ? ॥१॥ __ (सरीरप्पभवा भासा) भाषा का उद्भव शरीर से होता है (दोहि य समएहि भासती भासं) दो समयों में भाषा को बोलता है (भासा चउप्पगारा) भाषा चार प्रकार की है (दोणि य भासा अणुमता उ) किन्तु दो भाषाएं बोलने के लिए अनुमत है ॥२॥ __ (कतिविहा णं भंते ! भासा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! कितने प्रकार की भाषा कही है ? (गोयमा ! दुविहा भासा पण्णत्ता) हे गौतम ! दो प्रकार की भाषा कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (पज्जत्तिया य अपज्जत्तिया य) पर्याप्ति का और अपर्याप्ति का (पज्जत्तिया णं भंते ! भासा कतिविहा पण्णत्ता) हे भगवन् ! पर्याप्ति की भाषा कितने प्रकार की कही है ? (गोयमा! दुविहा पण्णत्ता) हे गौतम ! दो प्रकार की कही है (तं जहा) बह इस प्रकार (सच्चा मन्त छ (पण्णत्ता) ही छ
(भासा कओ य पभवति) भाषा यांथा भूत थाय छ ? (कतिहिव समए हि भासती भासं) 3८८सभयोमा भाषा मोवाय छे ? (भासा कतिप्पगारा) भाषा । प्रा२नी छ ? (कति वा भासा अणुमयाउ) 32ी भाषाये। मनुमत छ ? ॥ १ ॥
(सरीरप्पभवा भासा) भाषाने। उस शरीरथी थाय छे ? (दोहिय समएहिं भासती भासं) मे समयमा माया मा छे (भासा चउप्पगारा) भाषा या प्रा२नी छ (दोण्णिय भासा अणुमता उ) ५२न्तु मे भाषामा मोसवा माटे मनुमत छ ॥ २ ॥
__(कतिविहाणं भंते ! भासा पण्णत्ता !) 8 लगवन् ! सा ४२नी भाषा ही छ ? (गोयमा ! दुविहा भासा पण्णत्ता) गौतम ! मे २नी भाषा ही छ (तं जहा) ते । प्रारे (पज्जत्तिया य अपज्जत्तिया य) पर्याप्त सने अपर्यास (पज्जत्तियाणं भंते ! भासा कतिविहा पण्णत्ता ?) १५न् ! पर्याHिl मा ॥ प्रा२नी ४डी छे ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता) हे गौतम ! मे २नी ४ी छे (तं जहा) ते २ (सच्चा मोसा
श्री प्रशान। सूत्र : 3