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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद १० सू. ५ द्विप्रदेशादिस्कन्धस्य चस्माचरमत्वनिरूपणम् १७५ पएसाण य दवट्टयाए पएसट्टयाए दव्वदृपएसट्टयाए कयरे कयरे. हिंतो अप्पा वा, बहुया बा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे परिमंडलसंठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दव्वटूयाए एगे अचरिमे, चरिमाइं संखेज्जगुणाई, अचरमं चरमाणि य दोऽवि विसेसाहियाई, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडलस्स संठाणस्स संखिजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा, अचरमंतपएसा संखेजगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोऽवि विसेसाहिया, दव्वटुपएसटूयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स एगे अचरिमे, चरिमाइं संखेजगुणाई. अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई, चरमंतपएसा संखेज्जगुणा, अचरिमंत. पएसा संखेजगुणा, चरिमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया, एवं वहृतंस चउरंसायएसु वि जोएयव्वं । परिमंडलस्स णं भंते! संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दव्वटुपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे परिमंडलस्स सेठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स दवटयाए एगे अचरमे, चरमाइं संखेजगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाइं, पएसट्रयाए सव्वस्थोवा परिमंडलसंठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा अचरमंतपएसा संख्रिजगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया, दवटुपएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स दव्वट्टयाए एगे अचरिमे, चरमाइं संखेज्जगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दो वि विसेसाहियाई, चरमंतपएसा संखेजगुणा, अचरमंतपएसा संखेज्जगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया, एवं जाव आयए। श्री प्रापनासूत्र : 3
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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