________________
१०२
प्रज्ञापनासूत्रे
बहुकावा, तुल्या वा, विशेपाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकम् अलोकस्य द्रव्यार्थतया एकम् अचरमम्, चरमाणि असंख्येयगुणानि, अचरमं चरमाणि च द्वयान्यपि विशेषाधिकानि, प्रदे शार्थतया सर्वस्तोकाः अलोकस्य चरमान्तप्रदेशाः, अचरमान्तप्रदेशा अनन्तगुणाः, चरमान्तप्रदेशाश्च अचरमान्तप्रदेशाश्च द्वयेऽपि विशेषाधिकाः, द्रव्यार्थ प्रदेशार्थतया सर्वस्तोकम् अलोकस्य एकम् अचरमं, चरमाणि असंख्येयगुणानि, अचरमञ्च चरमाणि च द्वयान्यपि विशेषाधिकानि, चरमान्तप्रदेशा असंख्येयगुणाः, अचरमान्तप्रदेशाः अनन्तगुणा ?, चरमान्तप्रदेशाश्च
अपेक्षा से (करे कयरेहिंतो) कोन किससे (अप्पा वा बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? ( गोयमा !) हे गौतम! (सव्वत्थोवे) सब से कम (अलोगस्स) अलोक का ( दव्वट्टयाए) द्रव्य की अपेक्षा से (एंगे अचरमे) एक अचरम है (चरमाई असंखिज्जगुणाई) चरमाणि असंख्यातगुणा हैं (अचरमं चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई) अचरम और चरमाणि दोनों विशेषाधिक हैं ( पएसइयाए) प्रदेशों की अपेक्षा (सव्वFथोवा) सब से कम (अलोगस्स चरमंतपएसा) अलोक के चरमान्तप्रदेश हैं, (अचरमंतपएसा अनंतगुणा ) अचरमान्तप्रदेश अनन्तगुणा हैं (चरमंतपएसा य अचरमंतपसा य दोवि विसेसाहिया) चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश दोनों विशेषाधिक हैं (व्वटुपए सट्टयाए) द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा (सव्वFथोवे) सब से कम (अलोगस्स) अलोक का ( एगे अचर मे) एक अचरम है, (चरमाई असंखेज्जगुणाइं) चरम असंख्यातगुणा हैं, (अचरमं य चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई) अचरम और चरमाणि दोनों मिलकर विशेषाधिक हैं (चरमंतपएसा असंखेज्जगुणा ) चरमान्तप्रदेश असंख्यातगुणा हैं (अचरमंतपएसा
तुल्ला वा विसेसाहियावा ?) अहप, धाया, तुझ्या अथवा विशेषाधिः छे ? ( गोयमा !) डे गौतम ! (सब्वत्थोवे) अधाथी माछा (अलोगस्स) असेना (दव्वट्टयाए) द्रव्यनी अपेक्षाओ (एंगे अचरमे) ! अथरम छे (चरमाई असंखिज्जगुणाई) यरभाणि असं ज्यात गणा छे (अचरमंचरमाणि य दोवि विसेसाहियाई) अयरम मने यरभाणि विशेषाधिः छे (पट्टयाए प्रदेशानी अपेक्षाओं (सम्वत्थोत्रा) मधाथी मोछा (अलोगस्स चरमंतपरसा) असोना यरभान्त अहेश छे (अचरमंतपएसा अनंतगुणा ) अथरभान्त अहेश अनन्तगणा छे. (चरमंतपसा य अचरमं तपसा य दोवि विसेसाहिया) यरभान्त अहेश भने सयरमान्त प्रदेश भन्ने विशेषाछे (दव्वदुपसट्टयाए) द्रव्य मने अहेशानी अपेक्षाओ (सव्वत्थोवे) मधाथी छा (अलोगस्स) अलोउन! (एगे अचरमे) मे अयरभ छे (चरमाई असंखेज्जगुणाइ) यरभ असभ्याता छे (अचरमं य चरमाणि य दोवि विसेसा हियाई) मन्यरम अने यरभाषि भन्ने भणी विशेषाधिछे (चरमंतपएसा असंखेज्जगुणा ) यरमान्त प्रदेश असंख्यातगा
श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3