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________________ ६९० - प्रज्ञापनासूत्र वडिए आभिणिबोहियणाणपज्जवेहिं तुल्ले सुयनाणपज्जवेहि छट्राणवडिए अचक्खुदंसणपज्जवेहिं छटागवडिए, एवं उक्कोसाभिणिबोहियणाणी वि अजहण्णमणुकोसाभिणिबोहियणाणी वि एवं, नवरं सटाणे छट्टाणवडिए एवं सुयनाणी वि सुय अन्नाणी वि अचवखुदंसणी वि णवरं जत्थ णाणा तत्थ अण्णाणा नत्थि जत्थ अण्णाणा तत्थ णाणा नत्थि जत्थ दसणं तत्थ णाणावि अण्णाणावि एवं तेइंदियाणवि चउरिदियाण वि एवं चेव णवरं चक्खुदंसणं अब्भहियं ॥ सू०९ ॥ छाया-जघन्यावगाहनकानां भदन्त ! द्वीन्द्रियाणां पृच्छा, गौतम ! अनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः, तत् केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-जघन्यावगाहनकानां द्वीन्द्रियाणामनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! जघन्यावगाहनको द्वीन्द्रियो जघन्यावगाहनकस्य द्वीन्द्रियस्य द्रव्यार्थतया तुल्यः, प्रदेशार्थतया तुल्यः, अवगा हीद्रियादिपर्यायवक्तव्यता शब्दार्थ-(जहण्णोगाहणगाणं भंते !बेइंदियाणं पुच्छा?) हे भगवन् ! जघन्य अवगाहना वाले द्वीन्द्रिय जीवों के कितने पर्याय हैं ? (गोयमा! अणंता पज्जवापण्णत्ता) हे गौतम ! अनन्त पर्याय कहे हैं ? (से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चह-जहण्णोगाहणगाणं बेइंदियाण अणंता पज्जवा पण्णत्ता ?) किस हेतु से हे भगवन् ! ऐसा कहा है कि जघन्य अवगा. हना वाले द्वीन्द्रियों के अनन्त पर्याय कहे हैं (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णोगाहणए बेइंदिए जहण्णोगाहणस्स बेइंदियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले) जघन्य अवगाहना वाला द्वीन्द्रिय सुघन्य अवगाहना वाले द्वीद्रिय जीव से द्रव्य की अपेक्षा तुल्य (पएसट्टयाए तुल्ले) प्रदेशों | કીન્દ્રિયદિ પર્યાય વક્તવ્યતા शहाथ-(जहण्णोगाहणगाणं भंते ! बेइंदियाणं पुच्छा ?) 3 भगवन् ! धन्य मानावादीन्द्रिय वान डेटा पर्याय छ ? (गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ?) गौतम ! मनन्त पर्याय छ १ (से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चा जहण्णोगाहणगाणं बेइंदियाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ?) भगवन् ४॥ तुथी એમ કહ્યું છે કે જઘન્ય અવગાહનાવાળા દ્વીન્દ્રિયેના અનન્ત પર્યાય કહ્યા છે (गोयमा !) 3 गौतम (जहण्णोगाहणए बेइंदिए जहण्णोगाहणस्स बेइंदियस्स दव्व ट्रयाए तुल्ले) धन्य सानादीन्द्रिय धन्य मानावीन्द्रय थी द्रव्यनी मपेक्षा तुल्य (पएसट्टयाए तुल्ले) प्रशानी सपेक्षा तुल्य શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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