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________________ ५२४ प्रज्ञापनासूत्रे अष्टदश सागरोपमाणि, उत्कृष्टेन एकोनविंशतिः सागरोपमाणि, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अष्टादशसागरोपमानि अन्तर्मुहूर्तोनानि, उत्कृष्टेन एकोनविंशतिः सागरोपमानि अन्तर्मुहूर्तोनानि, प्राणते कल्पे देवानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन एकोनविंशतिः सागरोपमाणि, उत्कृष्टेन विंशतिः सागरोपमाणि अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां सागरोपम की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम अठारह सागरोपम की।। __(आणए कप्पे देवाणं पुच्छा ?) आनत कल्प में देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाई, उक्कोसेणं एगणवीसं सागरोवमाई) हे गौतम ! जघन्य अठारह सागरोपम, उत्कृष्ट उन्नीस सागरोपम की (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तक देवों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं) हे गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट भी अन्तमुहूर्त की (पजत्तयाणं पुच्छा !) पर्याप्तक देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई', उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई) हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम अठारह सागरोपम, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम उनीस सागरोपम की। (पाणए कप्पे देवाणं पुच्छा ?) प्राणत कल्प में देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं एगूणवीसं सागरोवमाइ, उक्कोसेणं અઢાર સાગરોપમની (आणए कप्पे पुच्छा ? ) मानत५मा वानी स्थिति सी ? (गोयमा ! अदारससागदोवमाई उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाई) गौतम ! ४धन्य मा२ सा॥२।५म, उत्कृष्ट मागणीस सा॥२।५मनी (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) २५५र्या. H हेवानी स्थितिनी २७ ? (गोयमा ! जहण्णेण वि उवकोसेण वि अंतोमुहुत्तं) गौतम ! “घन्य ५५] मन्तभुत, कृष्ट ५४४ मन्तभुत नी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पति हेवानी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहष्णेणं अट्ठारससागरो. वमाइं अंतोमुहुत्तणाई उक्कोसेणं एगूणवीस सागरोवभई अंतोमुहुत्तणाई) गौतम ! જઘન્ય અન્તમુહૂર્ત ઓછા અઢાર સાગરેપમ, ઉત્કૃષ્ટ અન્તમુહૂર્ત ઓછા ઓગણીસ સાગરેપમની. (पाणए कप्पे देवाण पुच्छा ?) प्रात ४६५मा हेवानी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहण्णेण एगूणवीसं सागरोवमाई, उवकोसेणं वीसं सागरोवमाई) गौतम ! શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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