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प्रमेययोधिनी टीका पद ४ सू.०५ पञ्चन्द्रियतियंग्योनिकानां स्थितिनि० ४८७ त्रिपश्चाशत् वर्षसहस्राणि, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येय अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेन त्रिपञ्चाशम् वर्षसहस्राणि अन्तर्मुहूर्तोनानि, गर्भव्युत्क्रान्तिक उरःपरिसर्पस्थलचर पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेन पूर्वकोटी, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम् कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेवन्नं वाससहस्साई) हे गौतम ! जघन्य अन्तमुहर्त्त, उत्कृष्ट त्रेपन हजार वर्ष (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तकों की स्थिति कितनी ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्ताणं पुच्छा ?) पर्याप्तकों की स्थिति कितनी ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुतं, उक्कोसेणं तेवन्नं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तणाइ) जघन्य अन्तर्मुहर्त की, उत्कृष्ट अन्तमुहूर्त कम त्रेपन हजार वर्ष की। __ (गम्भवक्कंतिय उरपरिसप्प थलयर पंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ?) गर्भज उरपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तियचों की स्थिति कितनी ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी) जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट पूर्वकोटि की (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तों की स्थिति कितनी ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त) जघन्य और उत्कृष्ट अन्तजहण्णेणं अंतोमुहुत्त उक्कोसेणं तेवन्नं वाससहस्साई) गौतम ! धन्य मन्तभुत,
कृष्ट वेपन १२ वर्ष (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) २५५र्यामीनी स्थिति दी ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) “धन्य ५५ मने उत्कृष्ट ५ मन्तभुतनी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पानी स्थिति सी ? (गोयमा !) गौतम ! (जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं) अन्य ५५ मन Gष्ट ५ मन्तभुतानी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) ५मिनी स्थिति सी ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण तेवन्नं वाससहस्साई अंतोमुहुनणाई) धन्य मन्तभुतनी, अष्ट मन्तभुत मोछ। त्रेपन २१ नो
(गब्भवक्कंतिय उरपरिसप्प थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ?) गम ७२५रिस५ स्थसय२ पथेन्द्रिय तिय यानी स्थिति सी ? (गोयमा !) उ गौतम ! (जहण्णेणं अन्तोमुहुन्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी) अन्य मन्तभुत',
कृष्ट पूटिनी (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) सपर्या सोनी स्थिति सी ?) (गोयमा !) 3 गौतम ! (जहण्णेण वि उकोसेणं वि अंतोमुहुत्तं) ४५न्य मने अष्ट
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨