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प्रमैयबोधिनी टीका पद ४ सू.०५ पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां स्थितिनि० ४८३ पृच्छा ! गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेन पूर्वकोटी अन्तर्मुहूत्तौना, गर्भव्यु. स्क्रान्तिकजलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा ? गौतम ! जघन्येन अन्तमुहूर्तम्, उत्कृष्टेन पूर्वकोटी, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेन मुहूर्त, उत्कृष्ट पूर्वकोटि की (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्त की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की (पज्जत्तयाण पुच्छा ?) पर्याप्तकों की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्त, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा) जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम करोड पूर्व की।
(गब्भवतिय जलयर पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ?) गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्त, उक्कोसेणं पुव्वकोडी) जघन्य अन्तमुहूर्त, उत्कृष्ट करोड पूर्व की (अपज्जत्तयाणे पुच्छा ?) अपर्याप्तों की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतो. मुहत्तं) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्तयाण पुच्छा ?) पर्याप्तों की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुत्तूणा) जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम करोड पूर्व की । विउकोसेण वि अंतोमुहुत्त) “धन्य ५५ मने ष्ट ५ मन्तभुताना (पज्जत्तयाण पुच्छा ?) पर्यापीनी २छ। ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तणा) ४५न्य मन्तभुतनी कृष्ट मन्तभुत ઓછા કરેડ પૂર્વની
___(गम्भवक्कंतियजलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ?) ar are. २२ पयन्द्रिय तिय यानी स्थितिनी २छ। ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जहण्णेणं अंतो मुहुत्तं, उक्कोसेणं पुत्व कोडी) ४धन्य मन्तभुत, उत्कृष्ट ४२। पूनी (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तोनी छ। ? (गोयमा ! ) गौतम ! (जहण्णेणं वि उक्कोसेणं वि अंतोमुहुत्तं) धन्य ५५ मने Gट ५४ पन्त. भुइतनी (पज्जत्तयाण पुच्छा ?) पर्याानी २७ ? (गोयमा) गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा) धन्य मन्तभुत, ઉત્કૃષ્ટ અંતર્મુહૂર્ત ઓછા કરેડ પૂર્વની
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨