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________________ ४०८ प्रज्ञापनासूत्रे २६, सौधर्मे कल्पे देवाः संख्येयगुणाः २७, सौधर्मे कल्पे देव्यः संख्येयगुणाः २८, भवनवासिनो देवाः असंख्येयगुणाः २९, भवनवासिन्यो देव्यः संख्येयगुणाः३०, अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्या नैरयिकाः असंख्येयगुणाः ३१, खेचर पञ्चेन्द्रियतिर्यगयोनिकाः पुरुषाः असंख्येयगुणाः ३२, खेचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक्यः संख्येयगुणाः ३३, स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः पुरुषाः संख्येयगुणाः ३४, स्थलचरपश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक्यः संख्येयगुणाः ३५, जलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः पुरुषाः संख्येयगुणाः ३६, जलचर पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक्यः संख्येय. कप्पे देवीओ संखिज्जगुणाओ) ईशान कल्प में देवियां संख्यातगुणी (सोहम्मे कप्पे देवा संखिज्जगुणा) सौधर्मकल्प में देव संख्यातगुणा (सोहम्मे कप्पे देवीओ संखेज्जगुणाओ) सौधर्मकल्प में देवियां संख्यात गुणी (भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा) भवनवासी देव असंख्यातगुणा (भवणवासिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ) भवनवासिनी देवीयां संख्यातगुणी (हमीप्से रयणप्पभाए पुढवीए नेरईया असंखिज्ज गुणा) इस रत्नप्रभा पृथिवीके नारक असंख्यातगुणा) (खहयर पंचिंदियतिरिक्खजोणिया) खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक (पुरिसा) पुरुष (असंखिज्जगुणा) असंख्यातगुणा (खहयरपंचिंदिय तिरिक्खजोणिणीओ असंखिज्जगुणाओ) खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यचनियां संख्यातगुणा (थलयरपंचिंदिय तिरिक्खजोणिया संखिज्जगुणा) स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच पुरुष संख्यातगुणा (थलयर पंचिंदिय तिरिक्खजोखिणीओ संखिज्जगुणाओ) स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचस्त्रियां संख्यातगुणी (जलयर पंचिंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा संखिज्जगुणा) जलचर पंचेन्द्रिय (ईसाणे कप्पे देवीओ संखिज्जगुणाओ) शान ४६५मा हेविया सध्यात छ. (सोहम्मे कप्पे देवा संखिज्जगुणा) सौधर्मः ४५मां सध्यातमा छे. (सोहम्मे कप्पे देवीओ संखेज्जगुणाओ) सौधर्म ४६५मा वियो संध्यात छ. (भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा) भवनवासी । सयाता॥ छ. (भवणवासिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ) अवनवासिनी देवीमा सयात छ. (इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखिज्जगुणा) २॥ २त्नमा पृथ्वीनाना। सध्याता छ. (खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया) य२ पथन्द्रिय तियय योनि (पुरिसा) पु२५ (असंखिज्जगुणा) २सयात छ. (खहयर पंचिंदिय तिरिक्खजोणिणीओ संखिज्जगुणाओ) मेयर पयन्द्रिय तियय स्त्रीयोस-यात छ. (थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा संखिज्जगुणा) स्थाय२ पयन्द्रिय तियय ५३५ सयात छ. (थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखिज्जगुणाओ) स्थाय२ पश्यन्द्रिय तिय य स्त्रिया सध्यातरी छे. (जलयर पंचिं. શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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