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प्रज्ञापनासूत्रे
३५६ अधोलोकतिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, ऊर्ध्वलोके संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकास्त्रसकायिकाः पर्याप्तकास्त्रैलोक्ये, ऊलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोके संख्येय. गुणाः, ऊर्ध्वलोके संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्थग्लोके असंख्येयगुणाः ॥ ३६॥
टीका-अथ त्रसकायिकानामल्खबहुत्ववक्तव्यतां प्ररूपयति-'खेत्ताणुवाएणं' क्षेत्रानुपातेन-क्षेत्रानुसारेण, 'सव्वत्थोवा तसकाइया तेलोक्के' सर्वस्तोका:-सर्वे(उडलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा) ऊर्ध्वलोक-तिर्य ग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा) अधोलोक-तिर्यकलोक में संख्यातगुणा हैं (उड्डलोए संखिजगुणा) ऊर्ध्वलोक में संख्यात गुणा हैं (अहोलोए संखिजगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं (तिरियलोए असंखिजगुणा) तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं। __ (खेत्ताणुयाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्यथोया तसकाइया पजत्तया तेलोक्के) सब से कम पर्याप्त त्रसकायिक त्रिलोक में हैं (उडलोय तिरियलोए असंखिज्जगुणा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा) अधोलोक-तिर्य ग्लोक में संख्यातगुणा हैं (उडलोए संखिजगुणा) ऊZलोक में संख्यातगुणा हैं (अहोलोए संखिज्जगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं (तिरियलोए असंखिज्जगुणा) तिर्य ग्लोक में असंख्यातगुणा हैं। __ अब त्रसकायिक जीवों के अल्पबहुत्य की प्ररूपणा क्षेत्र की अपेक्षा सौथी म अपर्याप्त साय: (तेलोक्के) यायमा छ. (उड्ढलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा) Balas तिय सभा असण्यात गरी छ. (अहोलोयतिरियलोए संखिज्जगुणा) अधोसा तियामा संन्यात गए। छ. (उड्ढलोए संखिज्ज गुणा) मा सात छ. (अहोलोए संख्रिज्जगुणा) अपानामा सध्यात छे. (तिरियलोए असं खिज्जगुणा) तिय सभा असण्यात या छे.
(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रनामनुसार (सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तया तेलोक्के) सौथी सोछ। पर्यात सय ७३ सयमा छे. (उडूढलोयतिरियलोए अस. खिज्जगुणा) Bafतिय सभा मज्यात छ. (अहोलोयतिरियलोए सखिज्जगुणा) अधोसा तिय सभा सयातमा छे. (उड्ढलोर संखिज्जगुणा) Sulसोभा संन्यात छ. (अहोलोए सखिज्जगुणा) मधासोमा सभ्यात छ. (तिरियलोए असं खिजगुणा) ति सोम मध्यातम छ. ॥ सू. ६ ॥
ટીકાથ-હવે ક્ષેત્રની અપેક્ષાથી ત્રસકાયિક જીવના અલ્પ બહુત્વની પ્રરૂ
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨