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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.९ सूक्ष्मबादरपृथिवीकायिकाद्यल्पबहुत्वम् १७९ प्तिकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्माप्कायिकाः अपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः सूक्ष्मवायुकायिकाः अपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मतेजाकायिकाः पर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मपृथिवीकायिकाः पर्याप्त का विशेषाधिकाः सूक्ष्माष्कायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवायुकायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मनिगोदाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मनिगोदाः पर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, सूक्ष्म- बादरवनस्पतिकायिकाः पर्याप्तकाः अनन्तगुणाः, बादरपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, बादरवनस्पतिकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, बादरा पर्याप्तकाः गुणा हैं (सुहुम पुढचीकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम आउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम बाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम तेउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (सुहुम पुढवीकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म पृथ्वीकायिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम आउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त विशे. षाधिक हैं (सुहुम याउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम निगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगोद के अपर्याप्तक असंख्यात गुणा हैं (सुहम निगोया पज्जत्तया संखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगोद के पर्याप्तक संख्यात गुणा हैं (बायर वणस्सइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा) बादर वनस्पतिकाय के पर्याप्तक अनन्तगुणा हैं (बायर पज्जत्तया विसेसाहिया) बादर पर्याप्त विशेषाधिक हैं (बायर चणस्सइकाइया अपज्जत्तया पुढयीकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्मपृथ्वीथि२५५र्यात विशेषाधि४ छ. (सुहुमआउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म यि मर्यात विशेपाधि छ (सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्मवायुय४ अर्यात विशेषाथि छ (सुहुमतेउकाइया पज्जत्तयो असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म ते४२४॥यि: पयर्यात असण्यात! छे (सुहुमपुढवीकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्मपृथ्वीय पर्यात विशेषाधि४ छ (सुहमआउकाइया पजत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म- माय पर्यात विशेषाधि४ छ (सुहुमवीउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुयि पर्यात विशेषाधि छ (सुहुमनिगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगाहना २५पर्याप्त मसध्यातमा छ (सुहुमनिगोया पज्जत्तया संखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगाहना पर्याप्त सध्यातरी छ (बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा) पा२ वनस्पतियना ५यास मनन्त छ (बायरपज्जत्तया विसेसाहिया) मा६२ यात विशेषाधिर શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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