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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.८ सूक्ष्मबादरजीवाल्पबहुत्वम् १५५ पर्याप्तकानां, सूक्ष्मतेजाकायिकपर्याप्तकानाम्, सूक्ष्मवायुकायिकपर्याप्तकानां, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकपर्याप्तकानाम्, सूक्ष्मनिगोदपर्याप्तकानां, बादरपर्याप्तकानाम्, बादरपृथिवीकायिकपर्याप्तकानाम, बादराकायिकपर्याप्तकानाम्, बादरतेजःकायिकपर्याप्तकानाम्, बादरवायुकायिकपर्याप्तकानां, बादरवनस्पतिकायिकपर्याप्तकानां, प्रत्येकशरीरबादरवनस्पतिकायिकपर्याप्तकानां, बादरनिगोदपर्याप्तकानां, बादरत्रसकायिकपर्याप्तकानां च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, ___ (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (सुहुम पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पर्याप्तकों (सुहुम पुढवीकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पृथ्वोकायिक पर्यातकों (सुहम आउकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म अप्काय पर्याप्तकों (सुहुम तेउकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म तेजाकायिक पर्याप्तकों (सुहुम बाउकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्तकों (सुहुम वणस्सइ. काइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तों (सुहुम निगोय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म निगोद पर्याप्तकों (बायर पज्जत्तयाणं) बादर पर्यातकों (बायर पुढवीकाइय पज्जत्तयाणं) बादर पृथ्वीकायिक पर्याप्तकों (बायर आउकाइय पज्जत्तयाणं) बादर अप्कायिक पर्याप्तकों (बायर तेउकाइय पज्जत्तयाणं) बादर तेजस्कायिक पर्याप्तकों (बायर वाउ. काइय पज्जत्तयाणं) बादर वायुकायिक पर्याप्तकों (बायर वणस्सइ. काइय पज्जत्तयाणं) बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तकों (पत्तेयसरीर बादरवणस्सइकाइय पज्जत्तयाणं) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तकों (बायर निगोय पज्जत्तयाणं) बादर निगोद के पर्यातकों (बायर तसकाइय पज्जत्तयाण य) और बादर त्रसकाय के पर्या ___ (एएसि णं भंते !) 3 सन् ! Pा (सुहुमपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पया। (सुहमपुढवीकाइय पज्जत्ताणं) सूक्ष्म वीय: पर्याप्ती (सुहुम आउकाइया पज्जताणं) सूक्ष्म मयि पर्यात (सुहुमतेउकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म त य ५र्यात (सुहुमवाउकाइया पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म वायुय४ पर्याप्त । (सुहुमवणस्सइकाइयपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म वनस्पतिय पर्याप्त। (सुहुमनिगोयपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म निगाह पर्यास। (बायरपज्जत्तयाण) ॥४२ ५ । (बायरपुढविकाइयपज्जत्तयाणं) मा४२ पृथ्वीय: ५ति। (बायरआउकाइयपज्जत्तयाणं) मा६२ सय पर्यातही (बायरते उकाइयपज्जत्तयोणं) मा६२ ते४४यि४ ५Hो (बायरवाउकाइयपज्जत्तयाणं) मा६२ वायुयि पर्यात। (बायरवणस्सइकाइय पज्जत्तयाणं) मार वनस्पतिथि: पर्या छ। (पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइयपज्जत्तयाणं) प्रत्ये शरीर मार पनस्पतिय पर्यात। (वायरनिगोयपज्जत्तयाणं) मा४२ निगोहना पर्याप्त (बायरतसकाइयपज्जत्तयाण य) मने ॥४२ सयन। पर्याप्तीभा (कयरे कयरे શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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