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________________ १५४ प्रज्ञापनासूत्रे यिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मतेजाकायिका अपर्याप्तका असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मपृथिवीकायिकानां अपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्माप्कायिकाः अपर्याप्तका विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवायुकायिकाः अपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, वक्ष्मनिगोदा अपर्याप्तका असंख्येयगुणाः बादरवनस्पतिकायिका अपर्याप्तका अनन्तगुणाः, बादरा अपर्याप्तका विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाः अपप्तिकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्माः अपर्याप्तफा विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! सूक्ष्मपर्याप्तकानाम्, सूक्ष्मपृथिवीकायिक पर्याप्तकानां, सूक्ष्माष्कायिकगुणा) बादर अप्कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बायरयाउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा) बादर वायुकायिक अपर्याप्त असंख्यात गुणा हैं (सुहुम तेउकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा) सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (सुहुम पुढवीकाइया अपजत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम आउकाइया अपजत्तया बिसेसाहिया) सूक्ष्म अप्कापिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहम वाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम निगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगोद अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बायर वणस्सइकाइया अपज्जत्तया अणंतगुणा) बादर वनस्पतिकायिक अप र्याप्त अनन्तगुणा हैं (बायरा अपज्जत्तया विसेसाहिया) यादर अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहम वणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (सुहमा अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं। ४५४ २०५४ २१सभ्यात छे (बायरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) मा६२वायुयि४ २५५र्यात असण्यातमा छ (सहुमतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्ज गुणा) सूक्ष्म ते२४६४५४ २५५र्यात २१ च्यात छे (सुहुमपुढवीकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म पृथ्वीय मर्यात विशेषाधि छ (सुहुमआउकाइयाअपज्जत्तया बिसेसाहिया) सूक्ष्म २५.यि मर्यात विशेषाधि४ छ (सहमवाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्भपायुयि४ अर्यात विशेषाधि छे (सुहुमनिगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगाह अपर्याप्त सध्यातमा छ (बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया अणंतगुणा) मा४२ वनस्पतिय अति अनन्त छ (बायरा अपज्जत्तया विसेसाहिया) ॥४२ २३५र्यात विशेषाधि छ (सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म वनस्पतिथि: २५५यरत मसभ्यात छ (सुहुमाअपज्जत्तयो विसेसाहिया) सूक्ष्म २५५४ विशेषाधि छे. શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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