SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५ २६ २७ 39 २८ बन्धद्वारानुसार अल्पबहुत्वका कथन २९ पुद्गलद्वारानुसार अल्पबहुत्वका कथन ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४० ४१ ४२ ४३ ४४ ४५ ४६ ४७ ४८ ४९ ५० क्षेत्रानुसार पंचेन्द्रियादिका अल्पबहुत्य क्षेत्रानुसार पृथ्विकायादिका अल्पबहुत्व त्रसकायिकादिका अल्पबहुत्व ५१ ३७० - ३८० ३८१-४०२ परमाणुपुगलों के अल्पबहुत्वका कथन महादण्डकानुसार सर्वजीवों के अल्प बहुत्वका कथन ४०३-४३७ चतुर्थ पद नैरयिकों की स्थिति का निरूपण देव देवियों की स्थितिका निरूपण पृथ्विकाय आदि की स्थितिका निरूपण पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों की स्थितिका निरूपण मनुष्यों की स्थितिका निरूपण वानव्यन्तर ज्योतिष्क देवों की स्थितिका निरूपण ज्योतिष्कदेवों की स्थिति का कथन वैमानिक देवों की स्थिति का निरूपण ग्रैवेयकदेवों की स्थिति का निरूपण ३२५-३३२ ३३३-३५४ ३५५-३५९ ३६०-३६९ ४३८-४४८ ४४९-४६१ ४६२-४७६ ४७७-४९२ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨ ४९३-४९४ ४९५-४९६ ४९७-५०८ ५०९-५२६ ५२७-५३७ पांचवां पर्यायपद ५३९-५४५ ५७२-५८१ पर्यायके भेदों का निरूपण नैरयिकादिकों के पर्यायका निरूपण मुरकुमारों के पर्यायका निरूपण पृथ्वी कायिकों के पर्यायका निरूपण ५७२-५८१ ५८२ - ६०२ द्वीन्द्रियादिकों के पर्यायका निरूपण ६०३-६१६ जवन्य अवगाहनावाले नैरयिकों के पर्यायका निरूपण ६ ७-६६० जघन्य नवगाहनावाले यसुरकुमारों के पर्यायका निरूपण ६६१-६६७ जघन्य अवगाहनावाले पृथ्विकायादिके पर्याय का निरूपण ६६८-६८८ जघन्य अवगाहनावाले द्वीन्द्रिय के पर्याय का निरूपण ६८९-७०८ जघन्य अवगाहनावाले पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों के पर्यायका निरूपण ७०९-७३८ जघन्य अवगाहनावाले मनुष्यों के पर्यायका निरूपण ७३९-७७३
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy