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प्रमेयबोधिनी टीका पद ६ सू.१५ नैरविक्रानां परभविकायुष्यबन्धनि०
कति भागावशेषायुष्काः पारभविकायुष्कं प्रकुर्वन्ति ? गौतम ! पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योfoor द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - संख्येयवर्षायुष्काश्च असंख्येयवर्षायुष्काच, तत्र खल ये ते, असंख्येयवर्षायुष्कास्ते नियमात् षड्मासावशेषायुष्काः पारभविकायुष्यं प्रकुर्वन्ति, तत्र खलु ये ते संख्येयवर्षायुष्कास्ते द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथासोपक्रमायुष्का, निरुपक्रमायुष्काश्च तत्र खलु ये ते निरुपक्रमायुष्कास्ते नियमात्, त्रिभागावशेषायुष्काः पारभविकायुष्कं प्रकुर्वन्ति, तत्र खलु ये ते सोप
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(पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! कति भागावसेसाज्या परभवियाज्यं पकरेति ?) भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यच कितने भाग आयु शेष रहने पर परभव की आयु बांधते हैं ? (गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुबिहा पण्णत्ता) गौतम ! पंचेन्द्रिय तिर्थच दो प्रकार के कहे हैं । (तं जहा ) वे इस प्रकार ( संखेज्जवासाज्या य असंखेज्जवासाज्या य) संख्यात वर्ष की आयु वाले और असंख्यात वर्ष की आयु वाले (तत्थ णं जे ते असंखेज्जवासाउया) उनमें जो असंख्यात वर्ष की आयु वाले हैं। (ते नियमा छम्मासावसेसाउया परमविद्याउयं पकरेंति) वे नियम से छहमास आयु शेष रहने पर परभव की आयु बांधते हैं । (तत्थ णं जे ते संखिज्जवासाउया) उनमें जो संख्यात वर्ष की आयु वाले हैं । (ते दुबिहा पण्णत्ता) वे दो प्रकार के कहे हैं । (तं जहा) वे इस प्रकार । (सोवक्कमाज्या य निरूवकमाज्या य) सोपक्रम आयु वाले और निरूपक्रम आयु वाले (तत्थ णं जे ते निरूवक्कमाउया) उनमें जो निरूपक्रम आयु वाले हैं। (ते नियमा) वे नियम से ન્દ્રિયા, ચતુરિન્દ્રિયાનું કથન પણ આ પ્રકારે જ
(पंचि दियतिरिक्त्र जोणियाणं भंते ! कतिभा गावसेसाज्या परभवियाज्यं पकरे 'ति ?) È लगवन् ! यथेन्द्रिय तिर्यय डेंटला लाग आयुशेष रहेता प२भवनुं आयुष्य मधे छे ? ( गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया वुविहा पण्णत्ता) हे गौतम! यथेन्द्रिय तिर्यय में अभरता ह्या छे (तं जहा) तेथे या रीते (संखेज्जवासाज्या य असंखेज्जवासाज्याय ) सज्यात वर्षानी आयुवाजा अने असौंध्यात वर्षनी आयुवाणा (ते निचमा छम्मासावसेसाच्या परभवियाज्यं पकरें ति) તેઓ નિયમથી છ માસ આયુશેષ રહેતા પરભવના આયુષ્યને ખાંધે છે
(तत्थणं जे ते संखिज्जवासाज्या तेममां ने सांध्यात वर्षानी आयुवाजा छे (à gfagı 900171) A21 A ukipal kel! I († FET) ADU 241 81k (enउयाय निरुवक्कमाउयाय) सोपभ आयुवाना भने नियम आयुवाणा (तत्थ णं जे ते निरुवकमा उया) तेमां ने नियम आयुवाजा छे (ते नियमा) तेथे नियमथी
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર :૨