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________________ प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.७ जीवादीनां वर्णादिना परस्परसंवेघः ८५ अपि३, लघुकस्पर्शपरिणता अपि४, शोतस्पर्शपरिणता अपि५, उष्णस्पर्शपरिणता अपि६, स्निग्धस्पर्शपरिणता अपि७, रूक्षस्पर्शपरिणता अपि८। संस्थानतः परिमण्डलसंस्थानपरिणता अपि१, वृत्तसंस्थानपरिणता अपिर, व्यससंस्थानपरिणता अपि३, चतुस्रसंस्थानपरिणता अपि आयतसंस्थानपरिणता अपि ५।२०॥ ये रसतः अम्लरसपरिणता स्ते वर्णतः कालवर्णपरिणता अपि१, नीलवर्णपरिणता अपि२, लोहितवर्णपरिणता अपि३, हारिद्रवर्णपरिणता अपि४, परिणमनवाले हैं (गरुयफासपरिणया वि) गुरुस्पर्श परिणमनवाले भी हैं (लहुयफासपरिणया वि) लघु स्पर्श परिणमन वाले भी हैं (सीयफासपरिणया वि) शीतस्पर्श परिणमन वाले भी हैं (उसिणफासपरिणयावि) उष्ण स्पर्श परिणाम वाले भी हैं (णि द्वफासपरिणया वि) स्निग्ध स्पर्श परिणमन वाले भी हैं (लुक्खफासपरिणया वि) रूक्ष स्पर्श परिणतन वाले भी हैं । (संठाणओ) आकार से (परिमंडलसंठाण परिणया वि) परिमंडल आकार के भी हैं (वसंठाणपरिणया वि) वृत्त आकार परिणमन वाले भी हैं (तंस संठाणपरिणया वि) त्रिकोणाकार परिणनन वाले भी हैं (चउरंस संठाणपरिणया वि) चौकोर आकार परिणमन वाले भी हैं (आययसंठाणपरिणया वि) आयताकार परिणमन वाले भी हैं। (जे) जो (रसमो) रस से (अंबिलरस परिणया) आम्लरस परिणमन वाले हैं (ते) वे (यण्ण मो) वर्ण से (कालवण्णपरिण या वि) ५ डाय छ (मउयफासपदिणया वि) मृदु.५३ परिणाम ni ५५ डाय छ (गरुयफासपरिणया वि) शु३ २५ परिणाम पाणां ५५ डाय छ (लहुयफास परिणया वि) १५ २५ परिणाम पाणi ५५ डाय छे (सी यफासपरिणया वि शीत २५ परिणाम प ५ डाय छ (उसिणफासपरिणया वि) S] २५श परिणाम व ५४ डाय छ (णिद्धफासपरिणया वि) स्निय २५ परिणाम पाणi ५ डाय छ (लुक्खफासपरिण या वि) ३६ २५२ ५२म ni ५५ उय छे. (संठाणओ) 24॥४१२थी (परिमंडलसंठाणपविणया वि) परिभ3८ मारना पा छे (वट्टसंठाणपरिणया वि) गोण २५४१२॥ परिणाम पmi ५४ छे (तंस संठाणपरिणया वि) ( सा२ना परिणाम ni ५५ छ (चउरंससंठाण परिणया वि) २।२४ २५।४।२ना परिणाम ni ५९ ॐ (आययसंठाण परिणया वि) આયતાકાર પરિણામ વાળાં પણ છે (जे) । (रसओ) २सथी (अंबिलरसपरिणया) पाटा २सना परिणाम ani छ (ते) ते (पण्णा) १ थी (कालपण्णपरिणया वि) ४ २ना શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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