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________________ ८० प्रज्ञापनासूत्रे अपि२, कषायरसपरिणता अपि३, अम्लरसपरिणता अपि४, मधुररसपरिणता अपि५। स्पर्शतः कर्कशस्पर्शपरिणता अपि १, मृदुकस्पर्शपरिणता अपि२, गुरुकस्पर्शपरिणता अपि३, लघुकस्पर्शपरिणता अपि४, शीतस्पर्शपरिणता अपि५, उष्णस्पर्शपरिणता अपि६, स्निग्धस्पर्शपरिणता अपि७, रूक्षस्पर्शपरिणता अपिटा संस्थानतः परिमण्डलसंस्थानपरिणता अपि१, वृत्तसंस्थानपरिणता अपि२, त्र्यस्त्रसंस्थामपरिणता अपि ३, चतुरस्रसंस्थानपरिणता अपि ४, आयतसंस्थानपरिगता अपि ५।२३।४६॥ ___ ये रसस्तिक्तरसपरिणता स्ते वर्णतः कालवर्णपरिणता अपि१, नीलवर्णपरिणता अपि २, लोहितवर्णपरिणता अपि ३, हारिद्रवर्णपरिणता४, शुक्लवर्णपरिणता अपि५' गन्धतः सुरभिगन्धपरिणता अपि१, दुरमिगन्धपरिणता अपि। स्पर्शतः कर्कशस्पर्शपरिणता अपि१, मृदुकस्पर्शपरिणता अपि२, गुरुकस्पर्शपरिणता अपि३, लघुकस्पर्शपरिणता अपि४, शीतस्पर्शपरिणता अपि५, उष्णस्पर्शपरिणता (रसओ) रस की अपेक्षा से (तित्तरसपरिणया वि) तिक्तरस परिणमन वाले भी हैं (कडुयरस परिणया वि) कटुकरस परिणमनवाले भी हैं (कसायरसपरिणया वि) कषाय रस परिणमनवाले भी हैं (अंबिलरसपरिणया वि) अंबिलरस परिणमनयाले भी हैं (महुररसपरिणया वि) मधुर रस परिणमन वाले भी हैं। (फासओ) स्पर्श की अपेक्षा से (कक्खडफास परिणया वि) कर्कश स्पर्श परिणमन वाले भी हैं (मउयफासपरिणया वि) मृदुस्पर्श परिणाम वाले भी है (गरुयफास परिणया वि) गुरु स्पर्श परिणमन वाले भी हैं (लहुयफासपरिणया चि) लघु स्पर्श परिणमनवाले भी हैं (सीयफासपरिणया वि) शीत स्पर्श परिणमनवाले भी हैं (उसिणफासपरिणया वि) उष्णस्पर्श परिणमनवाले भी है (णिद्धफासपरिणया वि) (रसओ) २सनी अपेक्षाये (तित्तरसपरिणया वि) dlun २सय ५२म ni ५५ छ (कडुयरसपरिणया वि) ४७१। २सना परिणामी ५५१ छे (कसायरसपरिणया वि) ४षाय २७ परिणामी ५५५ छ (अंबिलरसपरिणया वि) मा २सना पश्मि पmi पछ (महुररसपरिणया वि) मधुर २४ परिणामी ५५५ छ. (फासओ) २५शनी २५पेक्षाये (कक्खडकासपरिणया वि) ४४२ २२५२ परिणामी ५४ छ (मउयफासपरिणया वि) भृढ २५ परिणाम पni ५ छ (गरुयफासपरिणया वि) गु३ २५ परिणाम पvi पY छ (लहुयफासपरिणया वि) सधु २५ परिणाम पा ५ छ (सीयफासपरिणया वि) शात २५२ परिणाम पi ५५ छ (उसिणफासपरिणया वि) Sty २५ परिणाम पाणi શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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