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________________ प्रमेययोधिनी टीका प्र.१ सू.७ जीयादीनां वर्णादिना परस्परसंवैघनिरूपणम् ७९ स्पर्शपरिणता अपि८ । संस्थानतः परिमण्डलसंस्थान परिणता अपि२, वृत्तसंस्थानपरिणता अपिर, व्यत्रसंस्थानपरिणता अपि३, च तुरस्रसंस्थानपरिणता अपि४, आयतसंस्थानपरिणता अपि ५।२३॥ ये गन्धतो दुरभिगन्धपरिणता स्ते वर्णतः कालवर्णपरिणता-अपि१, नीलवर्णपरिणता अपि२, लोहितवर्णपरिणता अपि३, हारिद्रवर्णपरिणता अपि४, शुक्लवर्णपरिणता अपि५। रसतः तिक्तरसपरिणता अपि१, कटुकरसपरिणता फास परिणया वि) उष्ण स्पर्शवाले भी हैं (णिद्धफासपरिणया वि) स्निग्ध स्पर्शयाले भी हैं (लुक्खफासपरिणया वि) रूक्ष स्पर्शयाले मी हैं। (संठाणओ) संस्थान से (परिणमंडलसंठाण परिणया चि) परिमंडल संस्थान परिणमनवाले भी हैं (वट्ट संठाणपरिणया वि) वृत्त संस्थान परिणमनवाले भी हैं (तंस संठाण परिणया वि) त्रिकोण संस्थान परिणमन वाले भी हैं (चउरंस संठाण परिणया वि) चतुष्कोण संस्थान परिणमनवाले भी हैं (आयय संठाणपरिणया वि) आयत संस्थान परिणमन वाले भी हैं। (जे) जो पुद्गल (दुन्मिगंधपरिणया) दुर्गध परिणमनवाले हैं (ते) वे (वष्णओ) वर्ण की अपेक्षा से (कालघण्णपरिणया चि) काल वर्ण परिणमनवाले भी है (नीलवण्णपरिणया वि) नीलवर्ण परिणमनयाले भी हैं (लोहिय वण्ण परिणया वि) लाल वर्ण परिणमनवाले भी हैं (हालिद्द वण्ण परिणया वि) पीत (पीला) वर्ण परिणमनवाले भी हैं (सुकिल्लयण्णपरिणया वि) शुक्लवर्ण परिणमनवाले भी हैं। शात २५i ५४ छ (उसिणफासपरिणया वि) Gue १५शवाजा पy छ (णिद्धफासपरिणया वि) स्नि२५ २५Aani ५९ छ (लुक्खफासपरिणया वि) રૂક્ષ સ્પર્શવાળાં પણ છે. (संठाणओ) सथानथी (परिमंडलसंठाणपरिणया वि) परिम' संस्थान पाणi ५५ छ (वट्ट संठाणपरिणया वि) गो सस्थान परिणाम पाणi ५५ छ (तस संठाणपरिणया वि) (at] सस्थान ५२।म पाणi ५ छ (चउरंससंठाण परिणया वि) यतु] स स्थान परिणाम वाणां ५५ छ (आययसंठाणपरिणया वि) मायत संस्थान परिणाम पण ५ छ । __(जे) २ पुस (दुन्भिगंधपरिणया) दुध परिणामी छे (ते) ते॥ (वण्णओ) पनी अपेक्षाये (कालवण्णपरिणवा वि) १॥ २॥ना परिणाम qui ५६ छ. (नीलवण्णपरिणया वि) नीसा परिणाम qui ५ छ (लोहियवण्णपरिणया वि) सास गना परिणाम पाणi ५ छ (हालिदवण्णपरिणया वि) पीत १५ परिणाम प ५९ छे (सुक्किल्लवण्णपरिणया वि) स३६ २ना પરિણામ વાળા પણ છે. શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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