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प्रज्ञापनासूत्रे
प्रभस्तथाऽमितवाहनः प्रभञ्जनश्च महाघोषः ॥१३६॥ औत्तराहाः खलु यावद् विहरन्ति । कृष्णाः असुरकुमाराः, नामाः उदधयश्च पाण्डुरा उभयेऽपि । वरकनकनिघर्षगौराः भवन्ति सुवर्णाः दिशः स्तनिताः ॥१३७॥ उत्तप्तकनकवर्णा विधुतोऽग्नयश्च भवति द्वीपाश्च । श्यामाः प्रियङ्गुवर्णाः वायुकुमारास्तु ज्ञातव्याः ॥१३८॥ असुरेषु भवन्ति रक्तानि शिलिन्ध्रपुष्पप्रभाणि च नागोदधिषु । अश्वास्यगवसनधराः भवन्ति सुवर्णाः दिशः स्तनिताः।१३९। नीलानुरागवसनाः विद्युतोऽग्नयश्च भवन्ति द्वीपाश्च । सन्ध्यानुरागवसनाः वायुकुमारास्तु ज्ञातव्याः ।सू०२०। ___ (बलि) बली (भूयाण दे) भूतानन्द (वेणुदालि) वेणुदाली (हरिस्सहे) हरिस्सह (अग्गिमाणब) अग्निमाणव (विसिटे) विशिष्ट (जलपह) जलप्रभ (तहऽमियवाहणे) तथा अमित वाहन (पभंजणे) प्रभंजन (य)
और (महाघोसे) महाघोष (उत्तरिल्लाण) उत्तर दिशा के (जाव विहरंति) यावत् रहते हैं ॥१३६।। _ (काला असुरकुमारा) असुरकुमार कृष्णवर्ण हैं (नागा उदही य पंडुरा दोवि) नागकुमार और उद्धिकुमार दोनों शुक्ल वर्ण हैं, (वरकणगनिहसगोरा) उत्तम स्वर्ण की रेखा के समान गौरवर्ण (हुंति) होते हैं (सुवण्ण दिसा थणिया) सुपर्ण, दिशा और स्तनितकुमार ।१३७।
(उत्तत्तकणगवन्ना) तपे हुए सोने जैसे वर्ण वाले (विज्जू अग्गी य होति दीवा य) विद्युत्कुमार, अग्निकुमार और द्वीपकुमार होते हैं (सामा पियंगुवण्णा) श्याम प्रियंगु वर्ण के (वाउकुमारा) वायुकुमार (मुणेयब्वा) जानने चाहिए ॥१३८॥
(असुरेसु हुँति रत्ता) असुरकुमारों के वस्त्र लाल होते हैं (सिलिंध (अग्गिमाणव) मनभानव (विसिटे) विशिष्ट (जलप्पभे) सन (तह अमिय वाहणे) तथा मभित पाहुन (पभजणे) अमन (य) मने (महाघोसे) महा५ (उत्तरिल्लाण) उत्त२ (६शान (जाव विहरंति) यावत् २ ते ॥१३॥
(काला असुरकुमारा) असु२मा२ ४ प ना छे (नाग उदहीय पंडुरा दोवि) नागभा२ २१२ धिमा२ मन्ने स३४ १ ॥ छे (वरकणगनिहसगोरा) उत्तम २१ नी २माना समान गौरवणु (हुति) डाय छे (सुवण्णा दिसा थणिया) સુવર્ણકુમાર, દિશાકુમાર અને સ્વનિતકુમાર ૧૩૭
(उत्तत्तकणगवन्ना) तपेसा सोना स२५॥ २॥4(विज्जू अग्गीय होंति दीवा य) विद्युत्भार, मनिमा२ मने दी५४मार डाय छ (सामापियंगुवण्णा) श्याम प्रियांशु वन। (वाउकुमारा) वायुमार (मुणेयव्वा) Myा नये ॥१३८॥
(असुरेसु हुति रत्ता) असुरभाराना पत्र दास डाय छ (सिलिंध पुष्फप्प
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧