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________________ ६९८ प्रज्ञापनासत्रे णनिर्मलमणिरत्नमण्डितभुजौ, दशमुद्रामण्डिताग्रहस्तौ, चूड़ामणिचित्रचितगतो, सुरूपौ महाद्धिकौ, महाद्युतिको, महायशसौ, महाबलौ, महानुभागौ, महासौख्यौ, हारविराजितवक्षसौ, कटकत्रुटितस्तम्भितभुजौ, अङ्गदकुण्डलमृष्टगप्डतलकर्णपीठधारिणौ, विचित्रहस्ताभरणी, विचित्रमालामौली, कल्याणकप्रवरवस्त्रपरिहितो, कल्याणकप्रवरमाल्यानुलेपनधरौ, भास्वरबोन्दी, प्रलम्बवनमालधरौ, दिव्येन तुडियपवरभूसणणिम्मलमणिरयणमंडियभुया) तल भंग, त्रुटित तथा अन्य निर्मल मणियों एवं रत्नों से भूषित भुजाओं वाले (दसमुद्दा मंडियग्गहत्था) दश मुद्रिकाओं से मंडित उंगलियों वाले (चूडामणि चित्तचिंधगया) विचित्र चूडामणि के चिह्न से युक्त (सुरूवा) सुन्दर रूप वाले (महडिया) महाऋद्धिमान (महज्जुईया) महान् घुति वाले (महायसा) अत्यन्त यशस्वी (महाबला) महाबलवान् (महाणुभावा) महान् प्रभाव वाले (महासोवखा) अत्यात सुखी (हारविराइयवच्छा) हार से सुशोभित वक्षस्थल वाले (कडयतुडियर्थभियभुया) कटकों तथा त्रुटितों से स्तब्ध भुजा वाले (अंगदकुंडलमट्टगंडतलकन्नपीढधारी) अंगद, कुंडल तथा कपोल भाग को मर्षण करने वाले कर्णपीठ नामक आभूषण को धारण करने वाले (विचित्तहत्थाभरणा) अद्भुत हाथों के आभूषण वाले (विचित्तमालामउली) अद्भुत मालाओं से युक्त मुकुट वाले (कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया) कल्याणकारी श्रेष्ठ वस्त्र पहने हुए (कल्लाणगमल्लाणुलेवणधरा) कल्याणकारी मालाओं तथा लेपन (भद्दे) भद्र (जोव्वणे) यौवनमा (वट्टमाणा) पतमान (तलभंगतुतडियपवरभूसण. णिम्मलमणिरयणमंडियभुया) तस, त्रुटित तथा अन्य नि भनियो तेभर २त्नाथी भूषित सुत ॥ (दस मुद्दामंडियग्गहत्था) ४३ वाटयाथी भडित Hinvith an (चूडामणि चित्तचिंधगया) विचित्र यूरमाणुना विह्न १ (सुरूवा) सुन्४२ ३५वा (महढिया) भाऋद्धिमान् (महज्जुईया) महान् धुति in (महायसा) अत्यन्त यशस्वी (महाबला) महान् वान् (महाणुभागा) भडान प्रमाण (महासोक्खा) अत्यन्त सुभी (हारविराइयवच्छा) डारथी सुशालित पक्षस्थत in (कडय तुडिय थंभियभुया) ४८ तथा त्रुटितथी स्थि२ सुनसावा (अंगद कुंडल मट्ठगंडतल कन्नपीढधारी) २४, ७, तथा કપિલ ભાગને મર્ષણ કરવા વાળા કર્ણપીઠ નામક આભૂષણને ધારણ કરવા (विचित्तहत्थाभरणा) अभुत डाथाना माभूषण व (विचित्तमालामउली) महमूत भाणा माथी युत भुट वा (कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया) क्या શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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