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________________ प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३९ समेददर्शनार्यनिरूपणम् ४६७ एकपदेनानेकानि पदानि । उदके इव तैलविन्दुः, स बीजरुचिरिति ज्ञातव्यः ॥७॥ स भवति अभिगमरुचिः, श्रुतज्ञानं यस्य अर्थतो दृष्टम् । एकादश अगानि, प्रकीर्णकानि दृष्टिवादश्च ॥८॥ द्रव्यानां सर्वमावाः, सर्वप्रमाणैर्यस्य उपलब्धाः । सर्वे नयविधिभिः, विस्ताररुचिरिति ज्ञातव्यः ॥९॥ दर्शने ज्ञाने चरित्रे तपसि विनये सर्वसमितिगुप्तिषु । यः क्रियामावरुचिः, स खलु क्रियारुचिर्नाम ॥१०॥ (एगपयेणेगाइं पयाई जो) जो एक पद से अनेक पदों को (पसरई उ सम्मत्तं) सम्यक्त्व का प्रसार होता है (उदएब्व तेल्लविंदू) पानी में तेल की बूंद के समान (सो बीयरुइ त्ति नायव्यो) उसे बीजरुचि जानना चाहिए (७) ___ (सो होइ अभिगमरुई) यह अभिगमरुचि है (सुयनाणं) श्रुतज्ञान (जस्स अत्थओ दिड) जिसने अर्थ से देखा है (एक्कारस अंगाई) ग्यारह अंग (पइन्नगा) प्रकीर्णक (दिहिवाओ य) और दृष्टिवाद (८) (दव्वाण सव्वभावा) द्रव्यों के समस्त पर्याय (सव्य पमाणेहिं) मब प्रमाणों द्वारा (जस्स उपलद्धा) जिसे ज्ञात हैं (सव्वाहिँ नयविहीहिं) सब नय विधानों से (वित्थाररुइत्ति नायव्यो) उसे विस्तार रुचि समझना चाहिए (९) (दसणनाणचरित्ते) दर्शन, ज्ञान चरित्र में (तविणए) तप और विनय से (सव्वसमिइगुत्तीसु) सब समितियों और गुप्तियों में (जो (एगपएणेगाई पयाइं जो) २ २४ ५४थी मने पीने (पसरई उ सम्मत्तं) सभ्यत्वना प्रया२ थाय छ (उदएव्व तेल्लबिंदू) पाणीमा तन मन्दुनी समान (सो बीयरुइति नायव्वो) तेने मी४२यि ती सेवा नये (७) (सो होई अभिगमई) ते भनिगम ३थि छ (सुयनाणं) श्रुतज्ञान (जस्स अत्थओ ट्ठि) रणे अथथा नयर छ (एक्कारस अंगाई) माया२ २५ (पइण्णगा) Als (दिट्ठिवाओय) मने टवा६ (८) (दव्वाण सव्वभावा) द्र०याथी समस्त पर्याय (सव्वपमाणे हि) सप्रमाणे। सारा जिस उबलद्धा) २२ ज्ञात छ (सव्वाहिं नय विहिहिं) सवनय विधानाथी (वित्थाररुइत्ति नायव्वो) तेने विस्तार ३५ सभावी जये () (दसणनाणचरित्ते) शनशान यरित्रमा (तवविणए) त५ मने विनयथा (सव्वसमिइ गुत्तिसु) थी समित्तियो मने गुलियोमा (जो किरियामावरुई) या શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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