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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३१ समेदजलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः ३६७ जोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं अद्धतेरस जाइकुलकोडि जोणिप्पमुहसयसहस्साई भवंतीति मक्खायं । से तं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया ॥सू० ३१॥ ___ छाया-अथ के ते जलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः ? जलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-मत्स्याः१, कच्छपाः२, ग्राहाः३, मकराः४, शिशुमाराः५ । अथ के ते मत्स्याः ? मत्स्या अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-लक्ष्णमत्स्याः, खवल्लमत्स्याः, जुङ्गमत्स्याः, विज्झटितमत्स्याः, हलिमत्स्याः, रोहितमत्स्याः, हलिसागगः, गागराः, वटाः, वटकराः, गर्भजाः, उसगाराः, तिमितिमिङ्गलाः, नकाः, तन्दुलमत्स्याः, कणिकमत्स्याः, शालि
शब्दार्थ-(से किं तं जलयरपंचिंदिय तिरिक्खजोणिया ?) जलचर पंचेन्द्रिय कितने प्रकार के हैं ? (पंचविहा पण्णत्ता) पांच प्रकार के कहे गए हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं-(मच्छा) मत्स्य (कच्छमा) कच्छप (गाहा) ग्राह (मगरा) मगर (सुंसुमारा) सुंसुमार।
(से किं तं मच्छा ?) मत्स्य कितने प्रकार के हैं ? (मच्छा अणेगविहा पण्णत्ता) मत्स्य अनेक प्रकार के हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (सोहमच्छा) श्लक्ष्ण मत्स्य (खवल्लमच्छा) ग्ववल्ल मत्स्य (जुंगमच्छा) जुंग मत्स्य (विज्झडियमच्छा) विज्झटित मत्स्य (हलिमच्छा) हलिमत्स्य (मगरिमच्छा) मकरी मत्स्य (रोहियमच्छा) रोहित मत्स्य (हलीसागरा) हलिसागर (गागरा) गागरा (वडा) वट (वडगरा) वटकर (गब्भया) गर्भज (उसगारा) उसगार (तिमितिमिगिला) तिमितिमिगिल (णक्का)
१५४ाथ-(से किं तं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया ?) सयर पथेन्द्रियतियय टसा प्रश्ना छ ? (जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया) ४सय२ पयन्द्रिय तियय (पंचविहा पण्णत्ता) पांय ४२॥ ४॥ छ (तं जहा) तेसो २॥ शते छ (मच्छा) मत्स्य (कच्छमा) ४२-७५ (गाहा) याड (मगरा) भार (सुसुमारा) सुसुमार
(से किं तं मच्छा ?) मत्स्य 21 प्र२॥ छे (मच्छा अणेगविहा पण्णत्ता) मत्स्य मने प्रारना थाय छ (तं जहा) तेसो ॥ प्रा२ छ (सण्ह मच्छा) २६ मत्स्य (खवल्ल मच्छा) १ce भत्स्य (जुगमच्छा) मत्स्य (विज्झडिय मच्छा) विटितमत्स्य (हलिमच्छा) लिमत्स्य (मगरिमच्छा) भ४२। भत्स्य (रोहिय मच्छा) ana भाक्षी (हली सागरा) सिसा (गागरा) ॥॥२ (घडा) २८ (वडगरो) ५८४२ (गन्मया) गम (उसगारा) SAIR२ (तिमितिमि गलिया)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧