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प्रज्ञापनासूत्रे ___ मूलम् -से किं तं बेइंदिय संसारसमावन्नजीवपन्नवणा? बेइंदिय संसारसमावन्नजीवपन्नवणा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुलाकिमिया कुच्छिकिमिया गंड्रयलगा गोलोमा णेउरा सोमंगलगा वंसीमुहा सूइमुहा गोजलोया जालाउया संखा संखणगा घुल्ला गुलया खंधा वराडा सोत्तिया मुत्तिया कलुया यासा एगओ वत्ता दुहओ वत्ता नंदिया वत्ता संबुक्का माइवाहा सिप्पि संपुडा चंदणा समुद्दलिक्खा, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते संमुच्छिमा नपुंसगा, ते समासओ दुविहा पन्नत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा य, अपजत्तगा य। एएसि णं एवमाइयाणं वेइंदियाणं पजत्तगाणं सत्त जाइकुलकोडि जोणीपमुह सयसहस्लाइं भवंतीति मक्खायं । से तं बेइंदिय संसारसमायन्न जीवपन्नवणा ॥सू० २५॥ ___ छाया-अथ के ते द्वीन्द्रियसंसारसमापनजीवप्रज्ञापना ? द्वीन्द्रियसंसारसमापनजीवप्रज्ञापना अनेकविधाः प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पुलाकृमिकाः-पुतकृमयः, कुक्षिकृमिकाः, गण्डूपदाः, गोरोमाः, नूपुराः, सौमङ्गलकाः, वंशीमुखाः, सूची
शब्दार्थ-(से किं तं बेइंदिय संसारसमापन्न जीवपन्नवणा?) द्वीन्द्रिय संसारी जीवों की प्रज्ञापना क्या है ? उनके कितने भेद हैं ? 'वेइंदियसंसार समावन्नजीवपण्णवणा अणेगविहा' दो इन्द्रिय वाले संसारसमापन्नक जीवों की प्रज्ञापना अनेक प्रकार की (पण्णत्ता) कही हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं-(पुलाकिमिया) पुलाकृमि, (कुच्छिकिमिया) कुक्षिकृमि (गंडूयलगा) गंडूपद (गोलोमा) गोरोम (णेउरा) नूपुर (सोमंगलगा) सौमंगलक (वंशीमुहा) वंशीमुख (सूइमुहा) सूचीमुख (गोजलोया) गौजलौकस
- દ્વિઈન્દ્રિય જીવોની પ્રરૂપણ शहाथ-(से कि तं बेइंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा ?) दीन्द्रियस सारी. यानी प्रज्ञापन शु छ ? (बेइंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा) में द्रिय संसार सार समापन वानी प्रज्ञापन (अणेग विहा) अने प्र४२नी (पण्णत्ता) ४छे (तं जहा) तेसो २ रीत छ (पुलाकिमिया) yाभि(कुच्छी किमिया) सुक्षी भी (गडूयलगा) डू५४ (गोलोमा) गाराम (णेउरा) नूपुर (सोमंगलगा) सौम (वंसीमुहा) 4शी भुम (सुइमुहा) शूयीभुम (गोजलोया)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧